रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज ने अर्थशास्त्र के क्षेत्र में 2024 के नोबेल पुरस्कार की घोषणा कर दी है. यह पुरस्कार डारोन ऐसमोग्लू, साइमन जॉनसन और जेम्स ए. रॉबिन्सन को दिया गया है. इन्हें यह सम्मान संस्थान कैसे बनते हैं और लोगों की खुशहाली को कैसे प्रभावित करते हैं. इसके लिए मिला है. पुरस्कार के ऐलान ने अर्थशास्त्र की दुनिया में एक महत्वपूर्ण चर्चा का माहौल बना दिया है, जहां इन तीनों शोधकर्ताओं के योगदान को अत्यधिक सराहा जा रहा है.
कौन हैं ये तीनों इकोनॉमिस्ट?
डारोन ऐसमोग्लू, अर्मेनियाई मूल के तुर्की-अमेरिकी अर्थशास्त्री हैं, जो मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) में पढ़ाते हैं. वे वहां अर्थशास्त्र के एलिजाबेथ और जेम्स किलियन प्रोफेसर हैं. 1993 से MIT से जुड़े ऐसमोग्लू ने अपने शोध कार्य में राजनीतिक और आर्थिक संस्थाओं के प्रभाव को समझने का प्रयास किया है. उनका काम यह दर्शाता है कि कैसे संस्थाएं विकास और समृद्धि को प्रभावित करती हैं. उनके अलावा, साइमन जॉनसन और जेम्स ए. रॉबिन्सन भी अर्थशास्त्र के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले विद्वान हैं, जिन्होंने वैश्विक अर्थव्यवस्था की जटिलताओं को समझाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
2023 में इन्हें मिला था ये पुरस्कार
पिछले वर्ष 2023 में यह पुरस्कार क्लाउडिया गोल्डिन को प्रदान किया गया था, जिन्होंने महिलाओं के श्रम बाजार में स्थिति को समझने में महत्वपूर्ण शोध किया. गोल्डिन के शोध ने दिखाया कि कैसे महिलाओं की कमाई और श्रम में भागीदारी में लिंग अंतर समय के साथ बदला है. उनके काम ने महिलाओं की आर्थिक स्थिति के प्रति जागरूकता बढ़ाई और समाज में परिवर्तन के लिए प्रेरित किया.
ऐसे हुई थी इसकी शुरुआत
आर्थिक विज्ञान में स्वेरिग्स रिक्सबैंक पुरस्कार, अल्फ्रेड नोबेल की स्मृति में दिया जाता है, हालांकि अल्फ्रेड नोबेल ने अपनी वसीयत में अर्थशास्त्र के पुरस्कार का उल्लेख नहीं किया था. स्वेरिग्स रिक्सबैंक ने 1968 में इस पुरस्कार की स्थापना की, और 1969 से रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज को पुरस्कार विजेताओं के चयन का कार्य सौंपा गया.
इस वर्ष के पुरस्कार विजेताओं की पहचान ने एक बार फिर से इस बात को उजागर किया है कि संस्थाएं केवल आर्थिक विकास के लिए ही नहीं, बल्कि समृद्धि और सामाजिक कल्याण के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण हैं. इन शोधों से आने वाले दिनों में नीतिगत निर्माण और आर्थिक सिद्धांतों को दिशा मिलने की संभावना है.