नोएडा पुलिस ने एक पूर्व तृणमूल कांग्रेस (TMC) नेता विभाष चंद को फर्जी इंटरनेशनल पुलिस स्टेशन चलाने के आरोप में हिरासत में लिया है. पूछताछ के दौरान आरोपी ने खुलासा किया कि उसका गिरोह सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि इंटरनेशनल लेवल पर भी ठगी करता था. इस गिरोह का मकसद एनआरआई और ओसीआई कार्ड धारकों को निशाना बनाकर पैसे ऐंठना था. यह गिरोह प्रवासी भारतीयों (NRI) और ओवरसीज सिटीजन ऑफ इंडिया (OCI) कार्ड धारकों को निशाना बनाता था.
लोगों को कॉल करके यह कहकर डराया जाता था कि अगर वे ‘जांच’ में सहयोग नहीं करेंगे, तो उन्हें भारत आने की अनुमति नहीं मिलेगी और न ही भविष्य में ओसीआई कार्ड जारी होगा. इस डर का फायदा उठाकर गिरोह उनसे पैसे वसूलता था.
नकली दस्तावेज और वीडियो कॉल…
गिरोह के सदस्य पीड़ितों को भरोसा दिलाने के लिए माइक्रोसॉफ्ट टीम्स पर वीडियो कॉल करते थे. इन कॉल्स में वे खुद को क्राइम ब्रांच, सीबीआई, ईडी और सुप्रीम कोर्ट जैसे सरकारी विभागों के अधिकारी बताते थे. वे इन एजेंसियों के नकली दस्तावेज भी दिखाते थे. निर्दोष साबित होने के लिए पीड़ितों को पुलिस क्लियरेंस सर्टिफिकेट और सीबीआई के ‘सुपरविजन अकाउंट’ में पैसे भेजने के लिए कहा जाता था. पैसे मिलने के बाद नकली सीबीआई और आरबीआई की मुहर वाला रसीद पत्र भी दिया जाता था.
हवाला के जरिए मनी रूटिंग
जांच में यह भी सामने आया है कि ठगी से मिली रकम को गिरोह पहले इंटरनेशनल अकाउंट्स में ट्रांसफर करता था और फिर हवाला नेटवर्क के जरिए भारत में वापस लाता था. गिरोह नकली कॉल, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग, फर्जी सरकारी दस्तावेजों, और सुप्रीम कोर्ट के नकली आदेशों का सहारा लेता था. यह गिरोह ‘नेशनल ब्यूरो ऑफ सोशल इन्वेस्टिगेशन एंड सोशल जस्टिस’ नाम की एक नकली संस्था के जरिए लोगों को पुलिस की तरह दिखने वाले समन भी जारी करता था.