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इस गांव में बैन है नॉनवेज और शराब, सैकड़ों साल पुरानी परंपरा; हैरान कर देगी वजह

आंध्र प्रदेश में एक ऐसा भी गांव है, जहां ना तो कोई शराब पीता है और ना ही गांव में कहीं नॉनवेज बनता है. यहां तक कि स्कूलों में पोषाहार के तौर पर मिलने वाले मिड डे मील में भी अंडों का वितरण नहीं होता. यह सुनकर शायद आपको हैरानी हो रही होगी, लेकिन ऐसा ही है. इस गांव में आज से नहीं बल्कि सैकड़ों साल से यह परंपरा चली आ रही है. इस परंपरा की वजह और भी हैरतंगेज है. हम बात कर रहे हैं आंध्र प्रदेश में अनंतपुरम जिले के गांव आदिगुप्पा की.

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अनंतपुरम जिले के गुम्मागट्टा मंडल में स्थित इस गांव के लोगों का कहना है वैसे तो उनके गांव में कोई नॉनवेज या शराब का सेवन करता ही नहीं, लेकिन यदि किसी को विशेष परिस्थिति में नॉनवेज खाना हो या शराब का सेवन करना ही हो तो उसे गांव के बाहर जाना होता है. गांव वालों के मुताबिक यह पाबंदी किसी और ने नहीं लगाई, बल्कि गांव के लोग खुद अपने देवता के सम्मान में सैकड़ों साल से ऐसा करते चले आ रहे हैं. ग्रामीणों के मुताबिक आदिगुप्पा में एक समय में पलेगरू वंश का शासन था. उस समय में अनाज की पैदावार अच्छी होने की वजह से आदिगुप्पा काफी समृद्ध हुआ करता था.

शराब और नॉनवेज की वजह से आया था खतरा

इसकी वजह से आसपास के राजा इस क्षेत्र पर कब्जे की हमेशा कोशिश करते रहते थे. एक बार चित्रदुर्गम राज्य के राजा बुडिगे चिन्नय्या ने आदिगुप्पा पर हमला किया. इस राजा ने पहले इस गांव में एक सिपाही को भेजा. जिसने गांव वालों को खूब शराब पिलाई और मांस खिलाया. नशे की हालत में जब गांव के लोग बेसुध हो गए तो चित्रदुर्गम के राजा ने किले को घेर लिया. इस दौरान आदिगुप्पाकोट के राजा ने भगवान से विनती की. इसके बाद राजा ने बड़ी मुश्किल से अपने सैनिकों को जगाया और फिर दुश्मन राजा की पूरी सेना को मारकर किले के पास दफन कर दिया.

परंपरा का उल्लंघन नहीं करते लोग

उस समय आदिगुप्पा के राजा ने इस गांव को 150 एकड़ ज़मीन दान में दी थी. इसी के साथ गांव में राज्य को बचाने वाले देवता का मंदिर बनाया था. उसी समय गांव के सभी लोगों ने शपथ ली कि अब वह कभी ना तो नॉनवेज खाएंगे और ना ही शराब पीएंगे. उसके बाद से यह परंपरा ही शुरू हो गई. आज भी गांव के लोग इस परंपरा का पालन करते हैं. आज तक किसी ने भी जाने अनजाने में इस परंपरा का उल्लंघन नहीं किया. यहां तक कि गांव के वो लोग जो शौकिया तौर पर नॉनवेज खाना चाहते हैं या शराब पीना चाहते हैं, वो स्वेच्छा से गांव के बाहर जाकर ही यह काम करते हैं. आलम यह है कि स्कूलों में बच्चों को पोषाहार के तौर पर मिलने वाला अंडा भी इस गांव में वितरित नहीं होता.

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