ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पर तीखा हमला बोला है। ओवैसी ने कहा कि आज़ादी की लड़ाई में आरएसएस का कोई योगदान नहीं रहा और इसका महिमामंडन करना इतिहास के साथ खिलवाड़ है। उन्होंने प्रधानमंत्री द्वारा संघ की तारीफ पर सवाल उठाते हुए कहा कि आरएसएस का एक भी आदमी स्वतंत्रता संग्राम में शहीद नहीं हुआ।
ओवैसी ने बुलडोज़र राजनीति पर भी सरकारों को कठघरे में खड़ा किया। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने विध्वंस को लेकर स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि किसी भी कार्रवाई से पहले नोटिस देना और कानूनी प्रक्रिया अपनाना अनिवार्य है। लेकिन कई राज्य सरकारें इसे दरकिनार कर गरीबों और अल्पसंख्यकों को निशाना बना रही हैं। उन्होंने इसे लोकतंत्र पर हमला बताते हुए चेताया कि अत्याचार चाहे जितना बढ़े, उसका अंत हमेशा बुरा ही होता है।
साहिर लुधियानवी की शायरी का हवाला देते हुए ओवैसी ने कहा, “जुल्म फिर जुल्म है, बढ़ता है तो मिट जाता है, खून फिर खून है, टपकेगा तो जम जाएगा।” उन्होंने कहा कि बुलडोजर की कार्रवाई जनता की आवाज को दबाने की कोशिश है, लेकिन ऐसी आवाजें कभी दबाई नहीं जा सकतीं।
उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश का जिक्र करते हुए ओवैसी ने कहा कि इन राज्यों में बुलडोजर का सबसे ज्यादा दुरुपयोग हो रहा है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर सरकारें नहीं संभलीं तो जनता का गुस्सा फूटेगा और अन्याय का अंत होगा। तेलंगाना में भी उन्होंने स्थानीय प्रशासन को संदेश देते हुए कहा कि उनकी पार्टी हर स्तर पर इस मनमानी के खिलाफ लड़ेगी।
प्रधानमंत्री पर निशाना साधते हुए ओवैसी ने कहा कि आज ऐसी स्थिति बना दी गई है कि “आई लव मोदी” कहना तो स्वीकार्य है लेकिन “आई लव मोहम्मद” कहना गुनाह माना जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार मस्जिदों, दरगाहों और कब्रिस्तानों तक पर कानून के नाम पर कब्ज़ा करना चाहती है। ओवैसी ने कहा कि यह धार्मिक स्वतंत्रता और संविधान दोनों के खिलाफ है और उनकी पार्टी लोकतंत्र व न्याय के लिए संघर्ष करती रहेगी।