श्योपुर : जिले की विजयपुर थाना क्षेत्र के डाबीपुरा गांव में अंधविश्वास ने एक परिवार की दुनिया ही उजाड़ दी. डाबीपुरा गांव निवासी अनुष्का कुशवाह की मौत सर्पदंश नहीं बल्कि इलाज में देरी और झाड़ फूंक के भरोसे रहने के कारण हुई है.अब सोबरन कुशवाह अपनी 8 साल की मासूम अनुष्का को खो चुका है.8 साल की मासूम अनुष्का कुशवाह हैडपंप के पास मिट्टी लेने के लिए पहुंची थी. इसी दौरान जहरीले सर्प ने उसे दो बार काट लिया.
8 साल की मासूम ने इलाज में देरी से तोड़ा दम
लिहाजा.परिजन आनन फानन में उसे विजयपुर के अस्पताल ले जाने की बजाय एक झाड़ फूंक वाले बाबा के पास चले गए.फिर झाड़-फूंक का दौर शुरू हुआ, मंत्र पढ़े गए और धुआं किया गया, लेकिन नतीजा वही निकला जो हर बार निकलता है. सर्प दंश की शिकार मासूम की हालत और बिगड़ती गई. न समय पर इलाज मिला, ना सही दिशा में कदम उठाए गए.जब तक एंबुलेंस आई, तब तक बहुत देर हो चुकी थी. नजदीकी हॉस्पिटल में पहुंचने पर डॉक्टरों ने मासूम को मृत घोषित कर दिया.
अंधविश्वास नहीं, इलाज जरूरी है 8 साल की मासूम ने इलाज में देरी से तोड़ा दम
यह सिर्फ एक खबर नहीं, बल्कि एक चेतावनी है. झाड़-फूंक, टोना-टोटका और ओझाओं के भरोसे रहकर हर साल सैकड़ों लोग खासकर ग्रामीण इलाकों में अपनी जान गंवा देते हैं. दरअसल, सर्पदंश एक मेडिकल इमरजेंसी है, जिसका इलाज सिर्फ अस्पताल में संभव है. झाड़-फूंक से न तो जहर निकलता है और न ही जान बचती है. उल्टा, देरी से इलाज मिलने पर जिंदगी खत्म हो जाती है, जैसा कि श्योपुर जिले की विजयपुर थाना क्षेत्र के डाबीपुरा की अनुष्का के साथ हुआ.
अब सवाल है यह है कि कब तक लोग अंधविश्वास के अंधेरे में जान गंवाते रहेंगे. क्या अब भी हम नहीं समझेंगे कि सही समय पर सही इलाज ही जीवन बचा सकती है.फ़िलहाल परिजनों की आंखों में अब सिर्फ आंसू है.उनके पास रोने के अलावा कुछ बचा नहीं.ऐसे में कहा जा सकता है कि यह सर्प दंश नहीं, बल्कि ग्रामीण इलाकों में फैला अंधविश्वास का ज़हर है, जिसने एक मासूम की जिंदगी छीन ली.
डॉक्टर बोले समय पर होता उपचार तो बच जाती मासूम की जान
विजयपुर अस्पताल के डॉक्टरों ने बताया कि डाबीपुरा गांव निवासी सोबरन कुशवाह की 8 साल की मासूम अनुष्का कुशवाह को जहरीले सर्प ने हाथ में दो बार कांट किया. बच्ची दर्द से तड़पती हुई घर की तरफ भागी. परिजनों ने देखा तो उसके हाथ में सूजन आ चुकी थी.परिजन उपचार कराने की बजाय झाड़ फूंक कराने में लगे रहे . अगर मासूम बच्ची को सांप के काटने के बाद तुरंत अस्पताल लेकर परिजन आ जाते तो उसकी जान बच सकती थी.