बिहार में इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए चुनाव आयोग पूरी तरीके से एक्टिव मोड में है. चुनाव आयोग ने वैसे रजिस्टर्ड गैर मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों की सूची जारी की है और उनसे जवाब मांगा है, जिन्होंने 2019 के बाद से कोई भी चुनाव नहीं लड़ा है आयोग ने इसके लिए तारीख भी तय कर दिया है.
मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी की तरफ से जारी सूचना में स्पष्ट किया गया है कि वैसे रजिस्टर्ड गैर मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल है, जिन्होंने 2019 से पिछले 6 वर्षों में कोई चुनाव नहीं लड़ा है जबकि रजिस्ट्रेशन के बाद लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के तहत आयोग के द्वारा रजिस्टर्ड राजनीतिक दलों को कई लाभ और सुविधाएं मिलती हैं. आयोग ने स्पष्ट किया है कि ऐसे राजनीतिक दलों को कारण बताओ संबंधी नोटिस जारी करते हुए उनके पक्ष को प्राप्त करने के बाद डीलिस्ट करने की कार्रवाई की जानी है.
आयोग ने इन सभी राजनीतिक दलों से अनुरोध किया है कि वह एक सितंबर को दिन में तीन बजे तक मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी बिहार के सामने उपस्थित होकर के अपने पक्ष को प्रस्तुत करें. पक्ष में साक्ष्य भी होने चाहिए ताकि इस कार्यालय स्तर से प्रतिवेदन को भारत निर्वाचन आयोग को भेजा जा सके.
इन 15 पार्टियों से ECI ने मांगा जवाब
निर्वाचन आयोग ने जिन रजिस्टर्ड गैर मानता प्राप्त राजनीतिक दलों की सूची जारी की है, उनमें भारतीय आवाम एक्टिविस्ट पार्टी, भारतीय जागरण पार्टी, भारतीय युवा जनशक्ति पार्टी, एकता विकास महासभा पार्टी, गरीब जनता दल सेक्यूलर, जय जनता पार्टी, जनता दल हिंदुस्तानी, लोकतांत्रिक जनता पार्टी सेकुलर, मिथिलांचल विकास मोर्चा, राष्ट्रवादी युवा पार्टी, राष्ट्रीय सद्भावना पार्टी, राष्ट्रीय सदाबहार पार्टी, वसुदेव कुटुंबकम पार्टी, वसुंधरा जन विकास दल और यंग इंडिया पार्टी के नाम शामिल है.
अक्टूबर या नवंबर में विधानसभा चुनाव
दरअसल, इस साल के अंत में बिहार में विधानसभा का चुनाव है. अभी तारीखों का ऐलान नहीं हुआ है. मगर कहा जा रहा है कि अक्टूबर या नवंबर में चुनाव कराया जा सकता है. वर्तमान विधानसभा का कार्यकाल 22 नवंबर 2025 को समाप्त हो रहा है. 2020 में हुए विधानसभा चुनाव में एनडीए ने सरकार बनाई थी और नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने थे. हालांकि, बाद में अगस्त 2022 में नीतीश कुमार ने एनडीए का साथ छोड़ आरजेडी के साथ आ गए. मगर सीएम वही रहे. इसके बाद फिर जनवरी 2024 में वह फिर RJD का साथ छोड़ NDA में शामिल हो गए और फिर से सरकार बना ली.