विकसित भारत मिशन में मेडिकल क्षेत्र को भी सशक्त बनाने की बड़ी कोशिश हो रही है. मुंबई यूनिवर्सिटी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी AI की मदद से एक डिजिटल ट्विन यानी स्वास्थ्य प्रणाली का समकक्ष डिजिटल जुड़वा प्लेटफार्म तैयार कर रहा है. यह प्लेटफॉर्म लोगों के लिए वरदान साबित होगा. बीमारियों की शुरुआती जानकारी और रोकथाम सब AI से मुमकिन हो सकेगा.
मेडिकल की दुनिया में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से ये संभव करने की कोशिश हो रही है. मुंबई यूनिवर्सिटी AI की मदद से बड़ी क्रांति लाने की पूरी प्लानिंग कर चुकी है. कैंसर जैसी कई जानलेवा बीमारियों को ध्यान में रखते हुए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मॉडल बनाए जाएंगे. इसके लिए मुंबई यूनिवर्सिटी सभी अस्पतालों से बीमारियों के आंकड़े जुटा रही है. इनका विश्लेषण किया जाएगा. अस्पतालों से रोग के सैंपल और गहन जानकारी इकट्ठी की जा रही है.
नासिक स्वास्थ्य विज्ञान यूनिवर्सिटी, राज्य चिकित्सा शिक्षा विभाग के साथ-साथ सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग और मुंबई महा नगर पालिका के व्यापक समन्वय में यह काम हो रहा है. टाटा कैंसर और नानावटी जैसे अस्पताल के साथ मिलकर मिशन आगे बढ़ाया जा रहा है.
प्रदेश में जनस्वास्थ्य विभाग के 509 अस्पताल हैं. अस्पतालों की OPD में करीब 3.5 करोड़ मरीजों का इलाज होता है, जबकि 25 लाख से ज्यादा मरीज अस्पतालों में भर्ती होकर इलाज करते हैं. ऐसे सभी मरीज़ों के डेटा की मदद से AI मॉडल तैयार होगा, जिसमें क़रीब दो साल का समय लग सकता है.
क्या कहती है मुंबई यूनिवर्सिटी?
मुंबई यूनिवर्सिटी के रिसर्च एंड डेवलपमेंट विभाग के निदेशक डॉ. फारूक काजी कहते हैं, “आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से मेडिकल फीस आधी से भी ज़्यादा कम की जा सकेगी. मुंबई यूनिवर्सिटी के भीतर AI मॉडल को लेकर एक कमेटी भी बनाई है. हम कोशिश कर रहे हैं जितना रीयलिस्टिक डेटा मिल सके. टास्क मॉडल बेहतरीन ढंग से काम करे. देश विदेश से डेटा इकट्ठा कर रहे हैं.”
सबसे पहले गांवों में शुरू होगा ये प्रोजेक्ट
बीमारी का पता लगाने से लेकर इलाज की हर प्रक्रिया को आसान और सस्ता करने वाले इस AI मॉडल को सबसे पहले महिलाओं में ब्रेस्ट और बच्चेदानी में कैंसर या यूटेराइन कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों के लिए इस्तेमाल किया जाएगा. मुंबई यूनिवर्सिटी की इन्फ़ॉर्मेशन टेक्नोलॉजी प्रमुख डॉ. आर. श्रीवारामंगई बताती हैं कि इरादा सबसे पहले उन ग्रामीण इलाकों तक पहुंचने का है, जहां डॉक्टर और अस्पताल जैसी सुविधा नदारद है! इस मुहीम को ‘स्वास्थ्य नारी सशक्त भारत’ नाम दिया जाएगा. इस प्रोजेक्ट के लिए प्रधानमंत्री-उषा की ओर से शुरुआती वित्तीय सहायता मिल चुकी है. आगे दायरा और बढ़ेगा.
डॉक्टर के चक्कर, कई महंगे जांच और फिर इलाज का लंबा-चौड़ा बिल भरते भरते कइयों की उम्र निकल जाती है. कई मरीज़, बीमारी को खर्च के डर से यूहीं पालते रहते हैं. अगर मुंबई यूनिवर्सिटी का आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मॉडल मिशन कामयाब हुआ तो स्वास्थ्य प्रणाली के लिए बड़ा वरदान साबित होगा.