अब सीमेंट के बिना भी ज्यादा मजबूत और टिकाऊ बनेंगी इमारतें, IIT इंदौर ने तैयार किया अनोखा सुपरकंक्रीट

इमारतें अब सीमेंट के बिना भी बनेंगी, वो भी पहले से कहीं ज्यादा मजबूत और टिकाऊ। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) इंदौर ने एक ऐसा अनोखा कंक्रीट विकसित किया है जो पूरी तरह से सीमेंट मुक्त है, लेकिन ताकत और स्थायित्व में पारंपरिक कंक्रीट को पीछे छोड़ देता है।

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IIT इंदौर के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के डॉ. अभिषेक राजपूत और उनकी टीम ने इस नई तकनीक को विकसित किया है। इसे जियोपॉलिमर हाई-स्ट्रेंथ कंक्रीट (Geo-Polymer High Strength Concrete – GHSC) नाम दिया गया है। इसकी सबसे खास बात यह है कि यह औद्योगिक अपशिष्ट जैसे फ्लाई ऐश और GGBS (ग्राउंड ग्रेन्युलेटेड ब्लास्ट फर्नेस स्लैग) से तैयार किया गया है। ये ऐसे पदार्थ हैं जो फैक्ट्रियों से निकलकर प्रदूषण फैलाते हैं, लेकिन अब निर्माण कार्य में इनका उपयोग होगा।

सीमेंट उद्योग दुनिया में सबसे ज्यादाकार्बन डाइऑक्साइड छोड़ने वालों में से एक है। हर साल लगभग 2.5 अरब टन CO₂ सीमेंट निर्माण से निकलता है। GHSC इस उत्सर्जन को 80% तक घटा सकता है, जिससे यह नेट जीरो कार्बन लक्ष्य की ओर एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है।

पारंपरिक कंक्रीट को ठोस बनाने के लिए पानी से “क्योर” करना पड़ता है। लेकिन इस नई तकनीक में पानी की जरूरत नहीं होती, जिससे निर्माण के दौरान बड़ी मात्रा में पानी की बचत होती है।

यह कंक्रीट केवल 3 दिनों में ही 80 MPa से ज्यादा ताकत हासिल कर लेता है। जबकि सामान्य कंक्रीट को इतनी मजबूती पाने में कई हफ्ते लगते हैं।

 

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