सेब हर दिन खाना सेहत के लिए फायदेमंद है, लेकिन इस बार इसकी कीमत तय करेगी भूराजनीति. इस साल अगस्त से शुरू होने वाले सेब सीजन में भारत में सेब की कीमतों पर अंतरराष्ट्रीय समीकरणों का गहरा असर पड़ने वाला है.भारत अभी तक जिन देशों तुर्की, ईरान और अफगानिस्तान से सबसे ज्यादा सेब आयात करता था, वहां से आयात अब मुश्किल होता जा रहा है.
तुर्की, जो पिछले वित्तीय वर्ष में भारत का सबसे बड़ा सेब निर्यातक था (करीब $97 मिलियन का व्यापार), अब भारतीय व्यापारियों की प्राथमिकता में नहीं है. इसके पीछे वजह है तुर्की का भारत-विरोधी रुख और पाकिस्तान को समर्थन देना.
World War 3 will be for language, not land! pic.twitter.com/0LYWoI3K0r
— India 2047 (@India2047in) July 4, 2025
अफगान और तुर्की से आयात बंद
दूसरी ओर, भारत-पाकिस्तान के बीच अटारी-वाघा बॉर्डर 1 मई से बंद है, जिससे अफगानिस्तान से आने वाले सेब की आपूर्ति पूरी तरह रुक गई है. अफगानी सेब आमतौर पर सस्ते और लोकप्रिय होते हैं जो थोक बाज़ार में ₹40 से ₹65 प्रति किलो में बिकते थे. इसके मुकाबले कश्मीर और हिमाचल के सेब की कीमत ₹60 से ₹90 प्रति किलो तक होती है.
आज़ादपुर मंडी (एशिया की सबसे बड़ी फल-सब्जी मंडी) के फल व्यापारी पवन छाबड़ा बताते हैं कि अफगानी सेब पर कोई आयात शुल्क नहीं लगता, क्योंकि ये साउथ एशिया फ्री ट्रेड एग्रीमेंट के तहत आते हैं. ऐसे में अब देशी सेब महंगे हो सकते हैं.
कश्मीरी और हिमाचली सेब होंगे महंगे
एक अन्य आयातक ने बताया कि ईरान में जारी अस्थिरता के कारण वहां से सेब मंगवाने में भी जोखिम बना हुआ है. भारतीय व्यापारी आमतौर पर ईरानी निर्यातकों के लिए 46% कमीशन पर एजेंट की तरह काम करते हैं, जिससे उनके लिए यह व्यापार और भी चुनौतीपूर्ण हो गया है.
भारत में सेब का मुख्य उत्पादन जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश में होता है, और कुल उत्पादन करीब 24 लाख मीट्रिक टन है. लेकिन घरेलू मांग इससे ज्यादा है, इसलिए आयात जरूरी होता है. पिछले वित्तीय वर्ष में भारत ने करीब 34,000 टन सेब आयात किए, जिसकी कीमत $450 मिलियन रही — यह 12% की सालाना बढ़ोतरी है.