अब व्हाट्सएप से नोटिस नहीं भेज पाएगी पुलिस, सुप्रीम कोर्ट का बड़ा आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने व्हाट्सएप या इलेक्ट्रॉनिक मोड से नोटिस भेजने पर अब रोक लगा दी है. सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस विभागों को निर्देश दिया है कि वे सीआरपीसी की धारा 41ए या बीएनएसएस की धारा 35 के तहत आरोपी को नोटिस देने के लिए व्हाट्सएप या किसी और इलेक्ट्रॉनिक मोड का उपयोग न करें. अदालत ने स्पष्ट किया कि ऐसे नोटिस केवल सेवा के लिए निर्धारित पारंपरिक तरीके से ही जारी किए जाएं।

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धारा 41ए सीआरपीसी और धारा 35 बीएनएसएस में यह प्रावधान है कि जिन आरोपियों की तत्काल गिरफ्तारी आवश्यक नहीं होती, उन्हें पुलिस के समक्ष या किसी निर्दिष्ट स्थान पर उपस्थित होने के लिए नोटिस जारी किया जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह नोटिस केवल वैधानिक और मान्यता प्राप्त तरीकों से ही जारी किए जाने चाहिए.

व्हाट्सएप कोई वैकल्पिक तरीका नहीं

जस्टिस एमएम सुंदरेश और जस्टिस राजेश बिंदल की पीठ ने इस संबंध में आदेश जारी करते हुए कहा कि सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को अपने पुलिस विभागों के लिए स्थायी आदेश जारी करना चाहिए. इन आदेशों में यह निर्देश दिया जाए कि नोटिस केवल निर्धारित विधि के अनुसार ही सेवा की जाए. व्हाट्सएप या अन्य इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों का उपयोग वैकल्पिक तरीका नहीं हो सकता.

सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश सतेंदर कुमार अंतिल मामले में दिया, जिसमें पहले भी अदालत ने अनावश्यक गिरफ्तारी रोकने के लिए ऐतिहासिक निर्देश पारित किए थे. अदालत इस मामले में अपने पूर्व के आदेशों के कार्यान्वयन की निगरानी कर रही है. कोर्ट ने कहा कि नोटिस सेवा का तरीका पारदर्शी और वैधानिक होना चाहिए, ताकि न्याय प्रक्रिया प्रभावित न हो.

निर्देशों को सख्ती से लागू करे पुलिस

सुप्रीम कोर्ट ने यह कदम उठाते हुए इस बात पर जोर दिया कि इलेक्ट्रॉनिक मोड जैसे व्हाट्सएप के माध्यम से नोटिस देने से पारंपरिक और विधिक प्रक्रिया का उल्लंघन हो सकता है. इससे न्याय की निष्पक्षता पर सवाल खड़े हो सकते हैं. अदालत के इस फैसले को सभी पुलिस विभागों के लिए सख्ती से लागू करने का निर्देश दिया गया है.

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