अब रेयर अर्थ मेटल भी होगा Made in India! माइनिंग से रिसर्च तक बनेगा स्वदेशी सिस्टम…

जिस जाल में चीन दुनिया को फंसाना चाहता है, उसी जाल को भारत ने अब अपनी ताकत और रणनीति से तोड़ने की ठान ली है चीन जहां दुनिया की टेक्नोलॉजी और रक्षा सप्लाई चेन पर शिकंजा कसना चाहता है, वहीं भारत ने झुकने की बजाय सीधा मुकाबला करने का रास्ता चुना है वो भी पूरी तैयारी और आत्मनिर्भरता के संकल्प के साथ. दरअसल, रेयर अर्थ मटेरियल पर चीन की दादागिरी अब भारत के लिए एक चेतावनी नहीं, बल्कि आत्मनिर्भर बनने का अवसर बन चुकी है. जिस चाल से चीन दुनिया की टेक्नोलॉजी और रक्षा सप्लाई चेन को अपने नियंत्रण में लेने की कोशिश कर रहा है, उसी का जवाब भारत ने आक्रामक और रणनीतिक योजना से दिया है.

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रेयर अर्थ पर बना आत्मनिर्भर भारत का रोडमैप

मंगलवार को केंद्र सरकार ने इस मुद्दे पर एक उच्चस्तरीय अंतर-मंत्रालयीय बैठक की. इस बैठक में भारी उद्योग एवं इस्पात मंत्री एच. डी. कुमारस्वामी और कोयला एवं खान मंत्री जी. किशन रेड्डी मौजूद रहे. दोनों मंत्रियों ने बताया कि भारत अब सिर्फ खनन (Mining) ही नहीं, बल्कि रिसर्च से लेकर प्रोसेसिंग और उपयोग तक की पूरी वैल्यू चेन खुद देश में खड़ी करेगा

बैठक में भारी उद्योग, इस्पात, खान, वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के साथ-साथ परमाणु ऊर्जा विभाग के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे. इस समन्वित प्रयास का मकसद है भारत को इलेक्ट्रिक वाहन, इलेक्ट्रॉनिक्स और रक्षा निर्माण के लिए आवश्यक Rare Earth Elements (REEs) में पूरी तरह आत्मनिर्भर बनाना.

प्रधानमंत्री मोदी के विज़न पर तेज़ी से आगे बढ़ रहा है भारत

बैठक में National Critical Mineral Mission (NCMM) को लागू करने पर खास ज़ोर दिया गया. यह मिशन भारत को रणनीतिक खनिजों के मामले में वैश्विक मंच पर आत्मनिर्भर बनाएगा. मंत्रियों ने कहा कि सरकार अब मल्टी-मिनिस्ट्री कोऑर्डिनेशन के ज़रिए माइनिंग से लेकर फाइनल प्रोडक्ट तक हर कड़ी को मजबूत करने में जुटी है.

भारत में खड़ी होगी पूरी वैल्यू चेन

खनन मंत्री किशन रेड्डी ने कहा कि भारत सरकार अब माइनिंग, रिफाइनिंग, मैग्नेट निर्माण और अंतिम उपयोग तक की **पूरी सप्लाई चेन** देश में ही खड़ी करेगी. यह कदम भारत को चीन के विकल्प के रूप में स्थापित कर सकता है, खासतौर पर तब, जब वैश्विक स्तर पर चीन की भूमिका को लेकर संशय बढ़ रहा है.

चीन की चाल: बातचीत को जानबूझकर टाल रहा ड्रैगन

इस बीच खबर है कि चीन भारत की ऑटोमोटिव इंडस्ट्री के साथ रेयर अर्थ पर होने वाली बातचीत को जानबूझकर टाल रहा है. PTI की रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय प्रतिनिधिमंडल के करीब 50 सदस्यों को चीन ने वीजा तो दे दिया है, लेकिन बैठक की तारीख अब तक तय नहीं की गई है. यह चीन की रणनीति को दर्शाता है, जो भारत की ग्रोथ को धीमा करना चाहता है.

रेयर अर्थ का कहां होता है इस्तेमाल?

  • EV मोटर्स और बैटरियों में
  • पावर स्टीयरिंग सिस्टम
  • डिफेंस और सैटेलाइट टेक्नोलॉजी में
  • विंड टर्बाइंस और सोलर पैनल में

विशेष रूप से Neodymium-Iron-Boron (NdFeB) मैग्नेट्स का उपयोग इलेक्ट्रिक वाहनों की मोटर और अन्य ऑटोमोटिव उपकरणों में होता है. इनकी मांग लगातार बढ़ रही है, और यही कारण है कि भारत अब इस क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के लिए पूरी ताकत झोंक रहा है.

रेयर अर्थ मटेरियल पर भारत का यह नया आत्मनिर्भरता अभियान न केवल चीन की दबाव नीति का जवाब है, बल्कि यह नई तकनीकी क्रांति में भारत की निर्णायक भागीदारी का संकेत भी है. आने वाले समय में भारत सिर्फ उपभोक्ता नहीं, बल्कि रेयर अर्थ मटेरियल का निर्माता और निर्यातक बन सकता है.

 

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