रायपुर। छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य विभाग की टीम टीबी के मरीजों की पहचान करने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआइ) मशीन की सहायता लेगी। इस एआइ हैंड हेल्ड एक्स-रे मशीन के जरिए मात्र 30 सेकंड में एक्स-रे करके मरीजों का पता लगाया जाएगा।
यदि जांच में कोई मरीज टीबी से ग्रसित पाया जाता है तो उसे अस्पताल में ले जाकर आगे की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। प्रदेश में टीबी मरीजों की पहचान माइक्रोस्कोपी, सीबीनाट और ट्रू-नाट मशीन से सैंपल जांच के बाद होती है।
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि लोगों को अस्पताल जाने की जरूरत नहीं होगी, बल्कि विभाग के कर्मचारी खुद ही सभी जिलों में जाएंगे और लोगों के एक्स-रे करके संक्रमण की पहचान करेंगे।
जिन लोगों में संक्रमण सामने आएगा, उनके आगे की जांच प्रक्रिया शुरू की जाएगी। मरीजों को एक्स-रे जांच के लिए कोई शुल्क भी नही देना होगा।
विभाग अपने स्तर पर फिलहाल 12 मशीनों का इंतजाम कर रहा है। यह मशीन पोर्टेबल होगी और इसके माध्यम से किसी भी क्षेत्र में जाकर मरीजों का मौके पर ही एक्स-रे करके उसकी पहचान की जा सकेगी। ऐसा होने पर जांच रिपोर्ट को दिखाने में बर्बाद होने वाला समय बच जाएगा।
सामान्य एक्स-रे मशीन के मुकाबले यह ज्यादा सटीक होगी। गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने वर्ष-2025 तक देश को टीबी मुक्त बनाने का लक्ष्य तय किया है। इसके चलते ही प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग ने निगरानी के साथ ही टेस्टिंग भी बढ़ाने पर जोर दे रहा है।
ऐसे काम करेगी मशीन
अधिकारियों का कहना है कि हैंड हेल्ड एक्स-रे मशीनों को लैपटाप के साथ जोड़ा जाएगा, जिसमें कैमरा लगा होगा। कैमरे की मदद से ही फेफड़ों का एक्स-रे किया जाएगा, जिसकी रिपोर्ट तुरंत मिल जाएगी।
रिपोर्ट से ही पता चल जाएगा कि संबंधित मरीज टीबी का संदिग्ध केस है या नहीं। वर्तमान में लक्षण वाले मरीज का पहले टेस्ट किया जाता है और उसके बाद ही एक्स-रे होता है।
इस प्रक्रिया में समय लगता है। इसके अलावा उन ग्रामीण क्षेत्रों व छोटे गांवों में भी मशीन को पहुंचाने से संक्रमण की पहचान करने में मदद मिलेगी, जहां एक्स-रे व अन्य स्वास्थ्य सुविधाएं कम हैं।
टीबी संक्रमण के लक्षण
– टीबी सबसे ज्यादा फेफड़ों को प्रभावित करता है। इसका शुरुआती लक्षण खांसी आना है।
– रात के समय मरीज को पसीना आता है। इसमें लगातार बुखार रहता है। पहले कम और फिर तेज बुखार रहता है।
– टीबी के मरीजों को थकावट होती है। ऐसे में उनमें बीमारी से लड़ने की क्षमता नहीं रहती है।