अब नहीं गिरेंगे बिहार के पुल, हादसे से पहले ही हो जाएंगे दुरुस्त… समस्या के लिए सरकार ने निकाला ये तरीका

बिहार में आए दिन पुलों के गिरने की खबरें सुर्खियां बनती रहती हैं. इन घटनाओं की वजह से आम लोगों को तो परेशानी होती ही है. साथ ही सरकार की भी किरकिरी होती है. अब इस समस्या से निपटने के लिए सरकार ने नया तरीका खोज निकाला है. दरअसल, बिहार सरकार की तरफ से बिहार में पुलों की उम्र बढ़ाने के लिए आईआईटी पटना और आईआईटी दिल्ली के साथ एक करार किया गया है. इस करार के तहत बिहार के पुलों का ऑडिट किया जाएगा. साथ ही ब्रिज इंफॉर्मेशन एंड मैनेजमेंट सिस्टम तैयार किया जाएगा.

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आईआईटी पटना और आईआईटी दिल्ली का ये करार बिहार राज्य पुल निर्माण निगम के साथ हुआ है. इस करार के पहले चरण में कुल 85 पुलों का सेफ्टी ऑडिट कराया जाएगा. इसमें वो पुल शामिल होंगे जिनकी लंबाई 250 मीटर से अधिक है. यानी पहले चरण में आईआईटी पटना 45 पुलों के लिए सेफ्टी ऑडिट तैयार करेगा, जबकि आईआईटी दिल्ली 40 पुलों का सेफ्टी ऑडिट करेगा. इसके आधार पर उन पुलों के रख-रखाव के लिए टेंडर जारी किया जाएगा

पथ निर्माण विभाग के अंतर्गत 250 मीटर से अधिक लंबाई वाले 85 महत्वपूर्ण पुलों की ब्रिज सेफ्टी ऑडिट कराए जाने की स्वीकृति दी गई है. पथ निर्माण विभाग ने इसके लिए 17 करोड़ रुपये की प्रशासनिक स्वीकृति भी दी है. इस दौरान सबसे पहले पुलों की फिजिकली जांच की जाएगी. इसमें ड्रोन कैमरे और सेंसर का भी इस्तेमाल किया जाएगा.

क्या है सरकार का प्लान?

पथ निर्माण मंत्री नीतिन नवीन ने इस करार के बारे में बताया कि इस साझेदारी से हम पुलों की स्थिति का आकलन, पुल संरचना में गंभीर कमियों की पहचान, रखरखाव और मरम्मत समेत अन्य अहम कार्यों पर एक साथ में काम कर सकेंगे.

उन्होंने कहा कि यह समझौता पुलों के बुनियादी ढांचे की सुरक्षा और विश्वसनीयता सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. ये हमारे राज्य के आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए बेहद ही महत्वपूर्ण होगा. इस नीति को ब्रिज मेन्टेनेन्स प्रावधानों के अनुरूप तैयार किया गया है.

कैसे होगा काम?

इस करार के तहत सबसे पहले पुल की तस्वीरों और वीडियो के माध्यम से जांच की जाएगी. इसके बाद नॉन डिस्ट्रक्टिव टेस्टिंग, सेंसर टेक्नोलॉजी और ड्रोन कैमरा जैसे तकनीकों के माध्यम से प्रत्येक पुल की संरचनात्मक गुणवत्ता को जांचा जाएगा.

इसके लिए ब्रिज हेल्थ इंडेक्स और मेंटेनेंस प्रायोरोटी इंडेक्स तैयार किया जाएगा. इस डाटा के आधार पर पुल का हेल्थ कार्ड तैयार किया जाएगा, जिससे समय से पुल का रख-रखाव संभव हो सकेगा. बिहार राज्य की पुल प्रबंधन नीति-2025 भारत के किसी राज्य द्वारा लागू की गई इस तरह की पहली पॉलिसी है.

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