महाराष्ट्र विधानसभा में गुरुवार को बहुप्रतीक्षित और विवादों में घिरा महाराष्ट्र विशेष सार्वजनिक सुरक्षा विधेयक 2024 (जन सुरक्षा विधेयक) ध्वनिमत से पारित हो गया. मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस द्वारा प्रस्तुत इस विधेयक का उद्देश्य राज्य की आंतरिक सुरक्षा को मजबूत बनाना और संविधान विरोधी गतिविधियों में लिप्त संगठनों पर कठोर कार्रवाई करना है
पिछले कुछ हफ्तों से यह विधेयक राजनीतिक और सामाजिक गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ था. विपक्ष और विभिन्न सामाजिक संगठनों द्वारा इस पर कई आपत्तियां जताई गईं थीं, जिसके चलते राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले की अध्यक्षता में 25 सदस्यीय संयुक्त समिति का गठन किया गया.
इस समिति में सभी दलों के सदस्य शामिल थे, जिनमें जितेंद्र आव्हाड, जयंत पाटिल, विजय वडेट्टीवार, सतेज पाटिल, अजय चौधरी और शशिकांत शिंदे प्रमुख थे.
क्या है जनसुरक्षा विधेयक?
आज विधानसभा में जन सुरक्षा विधेयक को मंजूरी दे दी गई. इस कानून के अनुसार, अगर सरकार किसी व्यक्ति को लोक व्यवस्था या राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा मानती है, तो उस व्यक्ति को बिना कोई आरोप दर्ज किए तुरंत हिरासत में लिया जा सकता है.
जन सुरक्षा अधिनियम एक असंज्ञेय कानून है. यह विधेयक या इसके तहत भविष्य में बनने वाला कोई भी कानून नक्सली आंदोलनों पर करारा प्रहार करेगा. इस कानून के तहत आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करने वाले संगठनों और व्यक्तियों के साथ-साथ नक्सली और माओवादी संगठनों पर भी कार्रवाई की जाएगी.
विधेयक के क्या-क्या हैं प्रमुख प्रावधान
सरकार की राय में यदि कोई संगठन सार्वजनिक व्यवस्था या राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है, तो बिना आरोप दायर किए उसे हिरासत में लिया जा सकेगा.
ऐसे संगठनों को अवैध घोषित किया जा सकता है और उनकी संपत्तियों को जब्त किया जा सकता है.
उनके बैंक खाते फ्रीज किए जा सकते हैं.
यदि प्रतिबंधित संगठन के सदस्य नए नाम से संगठन बनाकर वही गतिविधियां दोहराते हैं, तो वह भी मूल संगठन का विस्तार माना जाएगा.
किसी भी संगठन के खिलाफ अपराध केवल DIG स्तर के अधिकारी की अनुमति से ही दर्ज किया जा सकेगा.
शहरी नक्सलियों पर लगेगा लगाम
भारत के नक्सल प्रभावित राज्यों, जैसे आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और छत्तीसगढ़ में ऐसा कानून पहले से ही मौजूद है. हालांकि, महाराष्ट्र में अभी तक ऐसा कोई कानून नहीं था, इसलिए पुलिस को केंद्र सरकार के टाडा जैसे कानूनों का सहारा लेकर नक्सलियों, माओवादियों और आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करने वाले संगठनों व व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई करनी पड़ती थी. हालांकि, अब विधानसभा में जन सुरक्षा विधेयक पारित किया गया.
ख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने विधेयक पर चर्चा के दौरान कहा कि यह कानून उन संगठनों पर लगाम लगाने के लिए लाया गया है जो लोकतंत्र और संविधान में विश्वास नहीं रखते और राज्य को अस्थिर करने का प्रयास करते हैं.
उन्होंने कहा कि एक समय में महाराष्ट्र के पांच जिले नक्सल प्रभावित थे, लेकिन अब यह खतरा केवल दो तालुकाओं तक सिमट गया है. माओवादियों ने अब शहरी क्षेत्रों के युवाओं को निशाना बनाकर ब्रेनवॉश कर उन्हें व्यवस्था के खिलाफ खड़ा करने की रणनीति अपनाई है. फडणवीस ने कहा कि यह विधेयक उन सभी छिपे हुए प्रयासों के खिलाफ एक ढाल बनेगा जो राज्य की शांति और सुरक्षा को खतरे में डालते हैं.