क्रेडिट कार्ड की देनदारियों में बढ़ते डिफ़ॉल्ट ने त्योहारी सीजन में बैंकिंग सेक्टर को सावधान कर दिया है. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के हाल के आंकड़ों के अनुसार, सितंबर में नए क्रेडिट कार्ड जोड़ने की गति में भयंकर गिरावट आई है, जो अगस्त के 9.2 लाख नए कार्ड से घटकर सितंबर में 6.2 लाख रह गई. यह पिछले वर्ष की तुलना में 64% की भारी गिरावट को दिखाता है, जिससे कुल क्रेडिट कार्ड संख्या 106 मिलियन पर पहुंच गई है.
विश्लेषकों का मानना है कि क्रेडिट कार्ड के असुरक्षित डिविजन में बढ़ते जोखिमों के कारण बैंक अब नए ग्राहकों को जोड़ने में और अधिक सतर्क हो गए हैं. आईडीबीआई कैपिटल के विश्लेषक बंटी चावला ने कहा कि एचडीएफसी बैंक और एसबीआई कार्ड्स ने नए कार्ड जारी करने में नेतृत्व किया है, लेकिन निकट भविष्य में क्रेडिट कार्ड के वितरण की रफ्तार धीमी रहने की संभावना है.
क्या कहती है रिपोर्ट?
आरबीआई ने हाल ही में रिस्क को लेकर बनाए गए स्टैंडर्ड में बदलाव किया है, जिसके तहत असुरक्षित पर्सनल लोन और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) को बैंक लोन पर अधिक जोखिम भार लागू किया गया है. इसका उद्देश्य क्रेडिट कार्ड और अन्य असुरक्षित लोन सेगमेंट में बढ़ते जोखिमों को नियंत्रित करना है. एचडीएफसी बैंक ने सितंबर में 4.3 लाख नए कार्ड जारी किए, जबकि एसबीआई कार्ड ने 1.4 लाख और एक्सिस बैंक ने 53,000 कार्ड जोड़े हैं.
किन लोगों का कार्ड हो रहा डिफॉल्ट
मैक्वेरी कैपिटल की एक रिपोर्ट के अनुसार, बैंकों के क्रेडिट कार्ड पोर्टफोलियो में डिफ़ॉल्ट दरें अब 6% के करीब चल रही हैं, जो बैंकिंग क्षेत्र के लिए चिंता का विषय है. रिपोर्ट में वित्तीय सेवा अनुसंधान के प्रमुख सुरेश गणपति ने बताया कि मध्यम आय वर्ग में क्रेडिट कार्ड डिफ़ॉल्ट की दर अधिक है. गणपति का कहना है कि आरबीआई द्वारा व्यक्तिगत लोन के दायरे को नियंत्रित किए जाने के बाद मध्यम वर्ग के पास अपने बकाया का भुगतान करने के लिए सीमित विकल्प बचे हैं, जिससे शहरी क्षेत्रों में मंदी का माहौल बन रहा है.
त्योहार में बढ़ा उपभोक्ता खर्च
आरबीआई के आंकड़े यह भी दर्शाते हैं कि लेनदेन की वृद्धि दर में गिरावट देखी गई है, जो अगस्त के 1.6% से घटकर सितंबर में 0.5% पर आ गई. हालांकि, त्योहारी सीजन में उपभोक्ता खर्च में वृद्धि दर्ज की गई, जिसके परिणामस्वरूप कुल क्रेडिट कार्ड खर्च अगस्त के 1.69 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर सितंबर में 1.77 लाख करोड़ रुपये हो गया. साल-दर-साल आधार पर यह 23.8% की वृद्धि है.
क्यों बढ़ रहा है डिफॉल्ट?
विशेषज्ञों का कहना है कि युवा मिलेनियल्स अक्सर अपनी पूरी क्रेडिट सीमा का उपयोग करते हैं, जिसके परिणामस्वरूप डिफ़ॉल्ट बढ़ रहे हैं और कई खाते गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) में तब्दील हो रहे हैं. आरबीआई ने हाल ही में बैंकों और एनबीएफसी को असुरक्षित उपभोक्ता लोन देते समय सतर्कता बरतने का निर्देश दिया है.