देश के पूरे रेल नेटवर्क में कवच 6 सालों के अंदर इंस्टॉल हो जाएगा. बहुत तेजी से और बाकी देशों की तुलना में सबसे कम लागत में कवच सिस्टम लगाया जा रहा है. भारतीय रेलवे बहुत जल्द जीरो ट्रेन एक्सिडेंट और जीरो ट्रेन डिरेलमेंट के नए कीर्तिमान को छू लेगा. ये बात मंगलवार को रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कही. उन्होंने कहा, भारतीय रेलवे के एक लोकोमोटिव इंजन में कवच-4 इंस्टॉल करने में सिर्फ 22 घंटा का समय लगता है. यही काम पहले कई दिनों में होता था. अभी रेलवे देश की 68 लोकोमोटिव मेंटेनेंस वर्कशॉप में कवच-4 को इंस्टॉल करने का काम कर रहा है. देशभर में रोजाना 200 लोकोमोटिव ट्रेन के इंजन में कवच सिस्टम लगाया जा रहा है.
उन्होंने कहा, कवच-4 को लोकोमोटिव रेल इंजन और पटरियों पर लगाने का काम तेजी से किया जा रहा है. देश की 68 लोकोमोटिव मेंटेनेंस वर्कशॉप में कवच-4 को इंस्टॉल करने का काम किया जा रहा है. पहले एक लोकोमोटिव में कवच इंस्टॉल करने में करीब 15 दिन लगते थे, जिसे घटाकर छह दिन किया गया है. अब महज 22 घंटे में एक लोकोमोटिव में कवच-4 इंस्टॉल किया जा रहा है.
रेलवे के पास 18 हजार इलेक्ट्रीफाइड लोकोमोटिव
रेल मंत्री ने कहा कि देशभर के हर वर्कशॉप में रोजाना करीब 10 से 12 लोकोमोटिव में कवच इंस्टॉल किए जाने की क्षमता है. रेलवे के परिचालन पर निर्भर करता है कि किस वर्कशॉप में एक दिन में कितने लोकोमोटिव में कवच लग पाता है. पिछले दिनों रेल मंत्रालय ने आदेश जारी किया था.
उन्होंने बताया कि ग्राउंड वर्क और तकनीकी सहूलियत को पुख्ता करने के बाद जो भी इलेक्ट्रीफाइड लोकोमोटिव मेंटिनेंस के लिए लोको वर्कशॉप में 24 घंटे से ज्यादा वक्त के लिए आता है, उस लोकोमोटिव इंजन में कवच-4 भी इंस्टॉल किया जाए. भारतीय रेल मंत्रालय के अनुसार, रेलवे के पास कुल 18 हजार इलेक्ट्रीफाइड लोकोमोटिव हैं.
10 हजार लोकोमोटिव में कवच इंस्टॉल करने का टारगेट
इन इंजनों में दो साल में 10 हजार लोकोमोटिव में कवच इंस्टॉल करने का टारगेट रखा गया है. जबकि अगले चार साल में सभी इलेक्ट्रीफाइड लोकोमोटिव में और देशभर के इलेक्ट्रीफाइड रेल ट्रैक पर कवच 4 इंस्टॉल होना है. भारतीय रेलवे बड़े पैमाने पर कवच को इंस्टॉल करने के लिए रेलवे ने सबसे पहले नौ हजार रेल कर्मियों को ट्रेनिंग दी है.
फिलहाल, कुल 15 हजार किलोमीटर रेल ट्रैक पर कवच लगाने का टेंडर दिया गया है. अब तक एक हजार किलोमीटर रेलवे ट्रैक पर कवच इंस्टॉल कर दिया गया है, जिनमें मुंबई से बड़ौदा और दिल्ली से पलवल रूट शामिल हैं.