इंदौर में अब भीख देने या लेने पर नहीं होगा केस… फिर बढ़ने लगी भिखारियों की संख्या

इंदौर। भिक्षा मुक्त इंदौर अभियान के तहत भिक्षा मांगने और देने वाले दोनों पर आपराधिक प्रकरण दर्ज करने के लिए कलेक्टर आशीष सिंह ने आदेश जारी किया था। 2 जनवरी को जारी किया गया आदेश 28 फरवरी का समाप्त हो गया है। इसके बाद से शहर में एक बार फिर भिक्षावृत्ति नजर आने लगी है।

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शनिवार, मंगलवार आदि विशेष दिनों में मंदिरों के बाहर भिक्षुकों का जमावाड़ा लगना शुरू हो गया है। बता दें कि 2 जनवरी से 28 फरवरी तक हुई सख्ती में तीन लोगों के खिलाफ भिक्षा देने और लेने पर प्रकरण दर्ज हो चुका है।

देश-विदेश में हुई इंदौर की तारीफ

भिक्षा मुक्त अभियान की सराहना देश सहित विदेश तक हो चुकी है। महिला व बाल विकास विभाग द्वारा भिक्षा मुक्त इंदौर अभियान की शुरुआत गत वर्ष की गई थी। पहले चरण में अभियान चलाया गया और भिक्षुकों को समझाइश दी गई।

इसके बाद भिक्षावृत्ति में लिप्त लोगों का रेस्क्यू किया गया, जिसमें 700 वयस्क लोगों का रेस्क्यू कर सेवाधाम आश्रम भेजा गया है। वहीं भिक्षावृत्ति से जुड़े 60 से अधिक बच्चों को स्कूल में दाखिला दिलवाया गया है।

अभियान में सख्ती बरतने के लिए कलेक्टर आशीष सिंह ने 2 जनवरी से 28 फरवरी तक प्रतिबंधात्मक आदेश लागू किया था। इसमें भीख देने और भीख मांगने पर भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 223 के तहत प्रकरण दर्ज की बात कही गई थी।

इसका असर यह हुआ कि इंदौर से भिक्षावृत्ति तकरीबन पूरी तरह से बंद हो गई थी। इस दौरान तीन लोगों पर भिक्षा देने और देने पर आपराधिक प्रकरण भी दर्ज हुआ था। अब सख्ती खत्म होते ही अब दोबारा शहर में भिक्षावृत्ति शुरू हो गई है।

28 लोग हो चुके हैं सम्मानित

इसी अभियान में प्रशासन ने नवाचार किया। भिक्षावृत्ति से जुड़े लोगों की सूचना देने पर 1 हजार रुपये के इनाम देने की घोषणा भी हुई। इसके बाद प्रशासन के पास हर दिन कॉल आना शुरू हो गए। अब तक प्रशासन 28 लोगों को 1 हजार रुपये की राशि देकर सम्मानित भी कर चुका है।

भिक्षा मुक्त अभियान के सकारात्मक परिणाम मिल रहे हैं। इक्का-दुक्का जगह पर भिक्षावृत्ति से जुड़े लोगों की सूचना भी मिल रही है, जिन्हें तुरंत रेस्क्यू किया जा रहा है। – राम निवास बुधौलिया, जिला कार्यक्रम अधिकारी

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