जरा सी आंधी-बारिश और बिजली गुल…इस समस्या से भारत ही नहीं दुनियाभर के कई देश जूझ रहे हैं. कभी तेज़ तूफान आता है तो पेड़ों के साथ-साथ बिजली के तार और खंभों को भी उड़ा ले जाता है, लेकिन अब हम कहें कि आपकी इस समस्या का जल्द समाधान होने वाला है तो क्या आप यकीन करेंगे? मौसम कोई भी हो लेकिन बिजली हमेशा रहेगी… 24 घंटे, 365 दिन.
दरअसल वैज्ञानिकों ने इस असंभव से दिखने वाले काम को संभव बनाने का काम शुरू कर दिया है. सूर्य की किरणें हम तक तभी पहुंच पाती हैं जब मौसम साफ हो लेकिन अंतरिक्ष में सूर्य की रोशनी या कहें सौर ऊर्जा हमेशा उपलब्ध होता है. ऐसे में वैज्ञानिक अब अंतरिक्ष में ही बिजली बनाकर धरती पर डायरेक्ट ट्रांसमिशन की योजना पर काम कर रहे हैं.
कौन-कौन कर रहा इस दिशा में काम?
वैसे तो अंतरिक्ष से बिजली सप्लाई की दिशा में अमेरिका, जापान समेत यूरोप के कई देश जुटे हैं लेकिन हाल ही में ब्रिटेन की एक स्टार्ट अप फर्म ने 2030 तक इसकी शुरुआत करने का दावा किया है. ब्रिटेन के स्पेस सोलर फर्म का मकसद स्पेस सोलर के जरिए अफोर्डेबल, स्केलेबल और पूरी तरह से रिन्यूएबल एनर्जी टेक्नोलॉजी विकसित करना है. स्पेस सोलर इंजीनियरिंग के स्पेस-बेस्ड सोलर पावर (SBSP) प्रोजेक्ट को ब्रिटेन की सरकार ने इसी साल अप्रैल में करीब 13 करोड़ रुपए की फंडिंग भी दी है.
कैसे होगी अंतरिक्ष से बिजली सप्लाई?
इस प्रोजेक्ट के तहत वैज्ञानिक एक ऐसे सैटेलाइट को पृथ्वी की कक्षा में स्थापित करेंगे जिस पर विशालकाय सोलर पैनल लगे होंगे. यह सोलर पैनल बिना किसी उपकरण के सिर्फ सौर ऊर्जा के स्रोत से ही बिजली का उत्पादन होगा. जिसे बिना किसी तार या खंभे के 2.45 गीगाहर्ट्स की फ्रीक्वेंसी से पृथ्वी पर स्थित रिसीवर पर भेजा जाएगा. इसके अलावा एक दूसरे विकल्प के तौर पर सैटेलाइट के जरिए सीधा 30 मेगावॉट ऊर्जा की बीम धरती पर छोड़ी जाएगी, जिससे करीब 3 हजार मकानों तक रोशनी पहुंचाई जा सकती है.
रिपोर्ट्स के मुताबिक यह सैटेलाइट करीब 400 मीटर चौड़ा होगा, जिसका वजन करीब 70 टन तक हो सकता है. इसे पृथ्वी की कक्षा में स्थापित किया जाएगा. खास बात ये है कि इसे एलन मस्क की स्पेसएक्स कंपनी के स्टारशिप रॉकेट से लॉन्च किया जाएगा.
SBSP प्रोजेक्ट की क्या होगी लागत?
स्पेस सोलर इंजीनियरिंग के इस प्रोजेक्ट के जरिए 2036 तक 6 ऊर्जा स्टेशन बनाने का लक्ष्य रखा गया है. प्रत्येक स्टेशन की लागत करीब 80 करोड़ डॉलर तक हो सकती है. इन पावर स्टेशनों के माध्यम से 24 घंटे बिजली सप्लाई करना मुमकिन हो पाएगा, धरती पर चाहे कैसा भी मौसम हो उसका प्रभाव स्पेस आधारित बिजली सप्लाई पर नहीं पड़ेगा.
अंतरिक्ष से बिजली सप्लाई के क्या हैं फायदे?
अंतरिक्ष से बिजली सप्लाई का सबसे बड़ा फायदा ये होगा कि 24 घंटे बिजली आपूर्ति होगी, इसके अलावा यह साफ-सुथरी ग्रीन एनर्जी होगी जिससे 2050 तक धरती पर कार्बन-उत्सर्जन शून्य करने की दिशा में बड़ी मदद मिलेगी. इससे ब्रिटेन की ऊर्जा जरूरत का पर्याप्त हिस्से की आपूर्ति की जा सकती है.
सोलर स्पेस कंपनी के मुताबिक वह 2030 तक पहला ऑर्बिटल डिमन्सट्रेटर सैटेलाइट भेजेगी, अगर यह कामयाब होता है तो यह दुनिया में रिन्यूएबल एनर्जी सोर्स का पहला मामला होगा. हालांकि पूरी तरह से इसे ऑपरेशनल होने में 2040 तक का समय लग सकता है.
स्पेस बेस्ड सोलर पावर में क्या होंगी चुनौतियां?
इस प्रोजेक्ट के जरिए कम कीमत पर बिजली उत्पादन करना सबसे बड़ी चुनौती है, अंतरिक्ष में बनने वाले पावर स्टेशन के लिए जो ढांचा बनाया जाना है उसका आकार काफी बड़ा होगा, इसके अलावा पृथ्वी की कक्षा से बिजली ट्रांसमिट करने वाले सैटेलाइट पर करीब एक किलोमीटर लंबी ट्रांसमीटर की सतह हो सकती है. जो कि एक आसान काम नहीं होगा.
माना जाता है कि अंतरिक्ष में बनने वाला पावर स्टेशन एक तरह से अंतरिक्ष में बने स्पेस स्टेशन जैसा होगा, लेकिन इसकी लागत और इसे बनाने में लगने वाला समय दोनों ही स्पेस स्टेशन की तुलना में कहीं अधिक हो सकता है. इस लिहाज से देखा जाए तो अंतरिक्ष से मिलने वाली बिजली उतनी सस्ती नहीं होगी जिसकी वर्तमान में जरूरत है, हालांकि स्पेस सोलर इंजीनियरिंग अगर इस तकनीक को कम खर्च में विकसित करने में कामयाब हो जाता है तो यह एक बहुत बड़ी उपलब्धि होगी.