यूजीसी ने एक बैठक में एसीलेरेटेड डिग्री प्रोग्राम (ADP) और एक्सटेंडेड डिग्री प्रोग्राम (EDP) के लिए स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर (SOP) को मंजूरी दे दी है. जानकारी के मुताबिक, यूजीसी ने तीन या चार साल के ग्रेजुएशन कोर्स को कम समय में पूरा करने या कोर्स की अवधि बढ़ाने के लिए एसओपी जारी कर दी है.
इस फैसले पर अधिक जानकारी देते हुए यूजीसी के अध्यक्ष प्रो. एम. जगदीश ने बताया कि नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क के लागू होने से उच्च शिक्षा में लचीलापन आएगा. इसमें छात्रों को स्टैंडर्ड अवधि की डिग्री के अलावा एसीलेरेटेड डिग्री प्रोग्राम या एक्सटेंडेड डिग्री प्रोग्राम के जरिए ग्रेजुएशन पूरी करने की मंजूरी मिलेगी.
छात्रों को क्या फायदा होगा
यूजीसी अध्यक्ष के मुताबिक, इस प्रोग्राम के लागू होने के बाद छात्र अपनी क्षमताओं के आधार पर अपनी पढ़ाई की समय सीमा को कम या बढ़ाने का विकल्प चुन सकेंगे. एसीलेरेटेड डिग्री प्रोग्राम के तहत छात्रों को प्रति सेमेस्टर अतिरिक्त क्रेडिट हासिल करके अपना डिग्री कम समय में पूरा करने का विकल्प मिलेगा. जबकि एक्सटेंडेड डिग्री प्रोग्राम के तहत छात्रों को प्रति सेमेस्टर कम क्रेडिट के साथ ज्यादा समय में अपना डिग्री पूरा करने का विकल्प मिलेगा.
कमिटी करेगी मूल्यांकन
ADP और EDP के तहत छात्रों को किसी कोर्स के लिए तय किए गए कुल क्रेडिट तो हासिल करने ही होंगे, लेकिन उनके पास विकल्प होगा कि वे एक या दो सेमेस्टर को कम या बढ़ा सकते हैं. यूजीसी ने इस प्रोग्राम को सुचारू रूप से चलाने के लिए विश्वविद्यालयों को कमिटी बनाने का निर्देश दिया है. कमिटी ही तय करेगी कि कौन से छात्र इन प्रोग्राम के लिए एलिजिबल हैं.
एक जैसी होंगी डिग्री
प्रो. कुमार ने बताया कि ADP और EDP के तहत मिलने वाली डिग्रियां में कोई अंतर नहीं होगा, दोनों डिग्रियां एक जैसी होंगी. हालांकि डिग्री में यह लिखा होगा कि छात्र ने डिग्री कम समय में पूरा किया है या ज्यादा समय में, लेकिन इससे उनके महत्व पर कोई असर नहीं पड़ेगा.
कुमार ने बताया कि कुल छात्रों के 10 प्रतिशत छात्रों को ही इन प्रोग्राम के लिए चुना जाएगा. छात्रों को इन प्रोग्राम के लिए एसओपी चुनने के लिए एक सेमेस्टर पहले ही इन विकल्पों को चुनना होगा.