8 हफ्ते में जवाब दे NTF… डॉक्टरों की सुरक्षा मामले में सुप्रीम कोर्ट का बड़ा आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल टास्क फोर्स (NTF) को निर्देश दिया कि वह चिकित्सा पेशेवरों की सुरक्षा को लेकर विभिन्न राज्यों और हितधारकों द्वारा दाखिल रिपोर्टों पर अपना जवाब दाखिल करे. जस्टिस एमएम सुंदरेश और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की बेंच ने राज्यों और अन्य पक्षों की रिपोर्ट पर जवाब दाखिल करने के लिए NTF को 8 हफ्ते का समय दिया है

कोर्ट ने यह निर्देश उस स्वतः संज्ञान मामले की सुनवाई के दौरान दिया गया, जिसे कोर्ट ने पिछले साल कोलकाता के आर.जी. कर (R.G. Kar) मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक महिला डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या की घटना के बाद शुरू किया था. इस घटना के बाद पूरे देश में आक्रोश पैदा हो गया था. कई शहरों में विरोध प्रदर्शन किए गए. घटना से गुस्साए देशभर के डॉक्टर हड़ताल हड़ताल पर चले गए थे.

जस्टिस एमएम सुंदरेश और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की बेंच ने नेशनल टास्क फोर्स (NTF) को आठ हफ्ते के अंदर अपनी प्रतिक्रिया दाखिल करने को कहा है. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा पर फाइल रिपोर्ट दाखिल करने के निर्देश दिए थे. कोर्ट ने 12 हफ्ते में NTF से फाइल रिपोर्ट मांगी थी. सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल 20 अगस्त 2024 को डॉक्टरों की सुरक्षा और अस्पतालों में सुरक्षा प्रोटोकॉल तैयार करने के उद्देश्य से नेशनल टास्क फोर्स (NTF) का गठन किया था.

डॉक्टरों की गैर-हाजिरी नियमित करने की समीक्षा

मंगलवार (5 अगस्त) को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने उन डॉक्टरों की गैर-हाजिरी नियमित करने से जुड़ी अपनी पूर्व की दिशा-निर्देशों की समीक्षा भी की, जो घटना के विरोध में हड़ताल पर गए थे. कोर्ट के 22 अगस्त 2024 के आदेश के अनुपालन में कुछ अस्पतालों ने डॉक्टरों की अनुपस्थिति को नियमित किया, वहीं AIIMS दिल्ली सहित कुछ अन्य संस्थानों ने इसे केवल अवकाश के रूप में दर्ज किया. सुप्रीम कोर्ट ने पिछले वर्ष 22 अगस्त को आंदोलनरत डॉक्टरों से काम पर लौटने की भावुक अपील करते हुए कहा था, न्याय और चिकित्सा दोनों को रोका नहीं जा सकता और आश्वासन दिया था कि काम पर लौटने के बाद उनके खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी.

सेमिनार कक्ष में मिला था महिला डॉक्टर का शव

यह मामला पिछले साल 9 अगस्त 2024 को सामने आया था जब महिला डॉक्टर का शव अस्पताल के सेमिनार कक्ष में मिला था. इस जघन्य अपराध के कारण देशव्यापी आक्रोश फैल गया और पश्चिम बंगाल में लंबे समय तक विरोध प्रदर्शन चला. घटना के अगले दिन कोलकाता पुलिस ने नगर निगम के स्वयंसेवक संजय रॉय को गिरफ्तार किया था. 20 जनवरी को कोलकाता की एक ट्रायल कोर्ट ने संजय रॉय को मृत्यु तक आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी.

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