डायनामाइट के आविष्कारक और स्वीडिश उद्योगपति अल्फ्रेड नोबेल की वसीयत कहती है कि नोबेल का शांति पुरस्कार उस व्यक्ति को दिया जाना चाहिए, “जिसने राष्ट्रों के बीच भाईचारे को बढ़ाने, स्थायी सेनाओं को समाप्त करने या कम करने, तथा शांति सम्मेलनों की स्थापना और संवर्धन के लिए सबसे अधिक या सर्वोत्तम कार्य किया हो.”
इजरायल और पाकिस्तान की ओर से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का नाम इस पुरस्कार के लिए भेजे जाने पर सोशल मीडिया में खूब चर्चा हो रही है कि इस पुरस्कार को किसे दिया जाना चाहिए और किसे नहीं. गौरतलब है कि अब तक चार अमेरिकी राष्ट्रपतियों को यह पुरस्कार मिल चुका है. इनके नाम हैं- थियोडोर रूजवेल्ट, वूड्रो विल्सन, जिमी कार्टर और बराक ओबामा.
World War 3 will be for language, not land! pic.twitter.com/0LYWoI3K0r
— India 2047 (@India2047in) July 4, 2025
क्या ट्रंप को मिल सकता है नोबेल पीस प्राइज?
अगर ट्रंप को नोबेल पुरस्कार मिलेगा तो वे इस सम्मान को पाने वाले 5वें अमेरिकी राष्ट्रपति होंगे. नोबेल शांति पुरस्कारों को अक्सर राजनीतिक संदेश के रूप में देखा जाता है. नोबेल पुरस्कार की वेबसाइट का स्वयं मानना है कि कुछ शख्सियतें जिन्हें शांति पुरस्कार मिले हैं वे “अत्यधिक विवादास्पद राजनीतिक एक्टिविस्ट” रहे हैं. इन पुरस्कारों ने अंतरराष्ट्रीय या राष्ट्रीय संघर्षों की ओर जनता का ध्यान भी बढ़ाया है. गौरतलब है कि अमेरिकी राष्ट्रपति ओबामा को प्रेसिडेंट बनने के कुछ महीनों बाद ही यह पुरस्कार मिल गया था. इस पर काफी प्रतिक्रियाएं देखने को मिली थी. 1994 में एक सदस्य ने तब पद छोड़ दिया जब फिलिस्तीनी नेता यासर अराफात ने इजरायल के शिमोन पेरेज और यित्जाक राबिन के साथ नोबेल का शांति पुरस्कार साझा किया था.
बता दें कि नोबेल शांति पुरस्कार देने वाली नार्वे की नोबेल की कमेटी इस पुरस्कार को देने में अहम भूमिका निभाती है. इनमें नॉर्वे की संसद द्वारा नियुक्त पांच व्यक्ति शामिल हैं. वर्तमान में इस कमेटी का नेतृत्व PEN इंटरनेशनल की नॉर्वेजियन शाखा के प्रमुख द्वारा किया जाता है, जो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का बचाव करने वाला एक समूह है.
नोबेल के लिए ट्रंप अपनी पैरवी खुद कर रहे हैं
इस पुरस्कार के लिए नॉमिनेट होने के बाद ट्रंप उत्साहित हैं. उन्होंने इस नॉमिनेशन के लिए इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की तारीफ भी की थी. ट्रंप लंबे समय से इस पुरस्कार के लिए खुद को दावेदार मानते हैं. फरवरी में बेंजामिन से मुलाकात के दौरान ट्रंप ने कहा था, “वे लोग हमें कभी भी नोबेल शांति पुरस्कार नहीं देंगे, ये बहुत गलत है, लेकिन मैं इसके योग्य हूं, पर वो मुझे देंगे नहीं.” इसके बाद जून में इजरायल-ईरान के बीच लड़ाई हुई, इस जंग के बाद इजरायल ने ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नॉमिनेट किया. बता दें कि ट्रंप को 2018, 2020 और 2021 में नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नॉमिनेट किया जा चुका है.
इसके बाद ट्रंप ने एक बार फिर से अपनी पैरवी शुरू कर दी.
8 जुलाई को एक रैली में ट्रंप ने कहा हम एक ऐसे समझौते पर हस्ताक्षर करने जा रहे हैं जिस पर कई दशकों में हस्ताक्षर नहीं किए गए हैं. यह शांति की कोशिश है और यह इज़रायल के प्रयासों का नतीजा है. ये वो चीजें हैं जिनके बारे में किसी ने नहीं सोचा था कि वे की जा सकती हैं, आप जानते हैं कि यह एक अद्भुत बात है.”
अमेरिकी राष्ट्रपति ने आगे कहा, “मैं यह अहंकार से नहीं कह रहा हूं, लेकिन मुझे नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित किया गया था. अब मुझे आपको बताना होगा यह एक बड़ी बात है. और दूसरे नेटवर्क और अधिकांश समाचारों ने इसे कवर नहीं किया. क्या आप कल्पना कर सकते हैं? जब ओबामा सत्ता में आए, तो उन्होंने कहा, ‘हम उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार देने जा रहे हैं.’ इसपर ओबामा ने सचमुच कहा, “मैंने क्या किया? मैंने कुछ नहीं किया.’ उन्होंने आठ साल तक कुछ नहीं किया, सचमुच में. “ट्रंप ने कहा कि उन्होंने कुछ ही हफ्तों में ओबामा को नोबेल पुरस्कार दे दिया. कुछ ही हफ्तों. और मेरे साथ. हमने बहुत कुछ किया है. हमने इतने सारे अलग-अलग मोर्चों पर बहुत कुछ किया है.
कैसे बना नोबेल पुरस्कार
नोबेल पुरस्कार विश्व के सबसे प्रतिष्ठित सम्मानों में से एक है. इनकी स्थापना स्वीडिश वैज्ञानिक अल्फ्रेड नोबेल की वसीयत के तहत हुई थी. नोबेल पुरस्कार की छह श्रेणियां हैं, जिनमें नोबेल शांति पुरस्कार भी शामिल है. अन्य पांच नोबेल पुरस्कार श्रेणियां हैं- भौतिकी, रसायन विज्ञान, शरीर विज्ञान या चिकित्सा, साहित्य और आर्थिक विज्ञान.
नॉर्वे की नोबेल समिति इस पुरस्कार की विजेता तय करती है. हालांकि, नामांकन की अंतिम तारीख 31 जनवरी होती है, इसलिए नेतन्याहू का यह नामांकन 2026 के पुरस्कार के लिए माना जा सकता है, 2025 के लिए नहीं.