राज्यपाल का रूट बदला! जालोर में श्रद्धालुओं का बवाल, पुलिस पर बोतलें फेंकी, बैरिकेडिंग टूटी

जालोर: राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े के आगमन की सूचना पर बड़ी संख्या में लोग कलेक्ट्रेट के पास एकत्र हो गए. इस भीड़ में बड़ी संख्या में महिलाएं शामिल थीं, जो अभयदास महाराज को वापस बुलाने और श्रावण मासीय कथा पूरी करवाने की मांग कर रही थीं.

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प्रदर्शनकारियों ने कलेक्ट्रेट के सामने रास्ता जाम कर दिया. स्थिति तब बिगड़ गई जब भीड़ ने पुलिस पर पानी की बोतलें फेंकी और बैरिकेडिंग तोड़ने की कोशिश की. हालात को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को हल्का बल प्रयोग और लाठीचार्ज करना पड़ा. इस दौरान कुछ महिलाओं की तबीयत भी बिगड़ गई.

 

स्थिति को देखते हुए राज्यपाल का रूट बदल दिया गया.  उन्हें पंचायत समिति (जालोर) से शांतिपुरा रोड बाइपास होते हुए आहोर चौराहा और वहां से सर्किट हाउस ले जाया गया. कुछ समय सर्किट हाउस में रुकने के बाद राज्यपाल कलेक्ट्रेट पहुंचे और समीक्षा बैठक की. प्रशासन की सतर्कता और पुलिस की कार्रवाई से स्थिति को काबू में किया गया, हालांकि घटना को लेकर स्थानीय प्रशासन और सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल जरूर उठे हैं.

 

दरअसल, तखतगढ़ धाम (पाली) के महाराज अभयदास जालोर के भगतसिंह स्टेडियम में 11 जुलाई से श्रावणमासीय कथा कर रहे थे.  इस दौरान बायोसा मंदिर में जुलूस के साथ जबरन दर्शन करने और पुलिस से टकराव के बाद माहौल बिगड़ गया था. कालका कॉलोनी में महाराज ने एक मकान की छत पर अनशन का ऐलान कर दिया था. 20 जुलाई को मंत्री जोगाराम पटेल ने महाराज को समझाया और अनशन तुड़वाकर तखतगढ़ रवाना कर दिया था.

 

 

मैंने सभी भक्तों से पहले जिला प्रशासन से अनुमति लेने और उसके बाद सिरमंदिर महंत गंगानाथजी महाराज से भी अनुमति लेने का कहा है.  इस पर सभी भक्त कलेक्टर के पास गए और उनसे अनुमति मांगी, जिस पर कलेक्टर ने कहा कि अभयदास महाराज ने तो मना कर दिया, उन्हें मुझसे परमिशन चाहिए ही नहीं, उन्हें तो गंगानाथजी से चाहिए. इसलिए उन्हीं से परमिशन लो, मैं परमिशन नहीं दे सकता. दोनों की अनुमति की महत्ता अलग है. उन्होंने सभी से ऑफिशियल परमिशन लेने की कोई कमी नहीं छोड़ी है. पहले प्रशासन की अनुमति लेनी है उसके बाद गंगानाथजी महाराज से अनुमति लेंगे. उसके बाद ही जालोर में बड़ा आयोजन किया जाएगा.

 

बता दें कि कथावाचक अभयदास महाराज ने जालोर में 12 जुलाई से कथा वाचन कार्यक्रम शुरू किया था. इस बीच वे 15 जुलाई की शाम को बायोसा मंदिर में दर्शन कर पास में अतिक्रमण का मामला उठाया. साथ ही 18 जुलाई को महिलाओं के साथ पुनः दर्शन करने की घोषणा की.  इस पर कानून व्यवस्था को बनाए रखने के लिए प्रशासन की ओर से रोका गया. बाद में दूसरे दिन पुलिस व्यवस्था के अनुसार दर्शन करने की अनुमति के साथ दर्शन करवाए गए. हालांकि बाद में कथावाचक अभयदास तखतगढ़ चले गए थे.

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