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“मैंगो शेक और लस्सी का भोग! एसी में विराजे रामलला को गर्मी से राहत देने की अनोखी भक्ति”

Uttar Pradesh: अयोध्या में राम मंदिर के गर्भगृह में विराजमान रामलला को इन दिनों गर्मी से राहत देने के लिए खास इंतजाम किए जा रहे हैं. जहां एक ओर श्रद्धालु पंखा और एसी ढूंढते फिर रहे हैं, वहीं रामलला को भी गर्मी न लगे, इसके लिए वातानुकूलित गर्भगृह में उन्हें मैंगो शेक, लस्सी, छाछ और मधु रस का भोग लगाया जा रहा है.

राम मंदिर ट्रस्ट की ओर से भगवान राम को “जीवंत रूप में” स्वीकार किया गया है, और इसी श्रद्धा के अनुरूप हर मौसम में उनके वस्त्र, भोग और व्यवस्था में बदलाव किया जाता है. इस समय उत्तर भारत में भीषण गर्मी पड़ रही है, तापमान 45 डिग्री के पार जा चुका है, ऐसे में भगवान को भी शीतलता मिले, इसकी पूरी तैयारी मंदिर प्रबंधन द्वारा की गई है.

विश्व हिंदू परिषद के प्रांतीय प्रवक्ता और मंदिर ट्रस्ट के मीडिया समन्वयक शरद शर्मा ने जानकारी दी कि “रामलला को प्राण-प्रतिष्ठित किया गया है, इसलिए वो केवल एक मूर्ति नहीं बल्कि जीवंत बाल रूप में विराजमान हैं. जैसे हम अपने परिवार के बच्चों का ख्याल रखते हैं, वैसे ही रामलला की सेवा होती है. गर्मी में उन्हें सूती वस्त्र पहनाए जाते हैं और ठंडी चीजों का भोग लगाया जाता है.”

इस समय रामलला को जिन पेयों का भोग लगाया जा रहा है, उनमें आम से बना मैंगो शेक, खट्टी-मीठी लस्सी, ठंडी छाछ और शुद्ध मधु रस प्रमुख हैं. सुबह-शाम के पूजन में यह विशेष भोग शामिल होता है. यही नहीं, उनके वस्त्र भी हल्के सूती कपड़े के होते हैं, ताकि उन्हें गर्मी न लगे.

गर्भगृह में एयर कंडीशनिंग और शीतल हवा के लिए कूलर की भी व्यवस्था की गई है. पुजारियों और भंडारियों की टीम इस बात का खास ध्यान रखती है कि भगवान को गर्मी, उमस या किसी भी असुविधा का अनुभव न हो.

यह परंपरा केवल व्यवस्था का विषय नहीं, बल्कि आस्था और समर्पण का प्रतीक है. भक्त मानते हैं कि अगर हमें गर्मी लगती है तो हमारे आराध्य को भी वही अनुभव होता है. और जब हम उन्हें जीवंत मानते हैं तो उनके लिए उसी तरह का वातावरण भी बनाना चाहिए.

अयोध्या की यह अनोखी श्रद्धा अब देशभर में चर्चा का विषय बन गई है. सोशल मीडिया पर लोग कह रहे हैं कि “जहां भक्त मैंगो शेक के लिए तरस रहे हैं, वहां भगवान को पहले परोसा जा रहा है – यही है असली भक्ति!”

इस खबर ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि रामलला के प्रति भक्तों की श्रद्धा सिर्फ पूजा-पाठ तक सीमित नहीं, बल्कि भावनात्मक रूप से गहराई तक जुड़ी है, जहां भगवान के आराम और सुख का ध्यान पहले रखा जाता है.

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