लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने मंगलवार को सांसदों के अवकाश की मंजूरी के लिए एक समिति गठित किया है. ये समिति सदन की कार्यवाही से अनुपस्थित रहने के संबंध में सदस्यों के अवकाश के आवेदनों पर विचार करेगी. बीजेपी के सांसद और त्रिपुरा के पूर्व मुख्यमंत्री विप्लव कुमार देव इस समिति की अध्यक्षता करेंगे. वहीं, इस समिति में कुल 15 सदस्यों को शामिल किया गया है.
इस 15 सदस्यीय समिति का गठन सोमवार को ऐसे समय में किया गया, जब पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट जेल में बंद लोकसभा सांसद अमृतपाल सिंह की याचिका पर सुनवाई कर रहा था. असम की डिब्रूगढ़ जेल में बंद अमृतपाल सिंह ने संसद सत्र में भाग लेने की अनुमति मांगी है. उसका कहना है कि यदि वह 60 दिनों तक सदन से अनुपस्थित रहा, तो उसकी संसद की सदस्यता समाप्त हो जाएगी.
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— India 2047 (@India2047in) July 4, 2025
समिति में इन लोगों को किया गया है शामिल
लोकसभा स्पीकर ओम बिरला की ओर से गठित समिति में सौमित्र खान, ज्ञानेश्वर पाटिल, जय प्रकाश, गोपाल ठाकुर, मनसुखभाई वसावा (सभी बीजेपी), आनंद भदौरिया (सपा), असित कुमार मल (तृणमूल कांग्रेस), गोवाल पदवी, वीके श्रीकंदन और प्रशांत पडोले (कांग्रेस), अमरा राम (माकपा), केसिनेनी शिवनाथ (तेदेपा) और नलिन सोरेन (झामुमो) शामिल हैं.
संसद के बजट सत्र का दूसरा भाग 10 मार्च को शुरू होगा और चार अप्रैल को समाप्त होगा. ऐसे में आगे देखना जरूरी होगा कि अमृतपाल सिंह को सदन की कार्यवाही में शामिल को लेकर मंजूरी मिलती है या नहीं? क्योंकि अगर बजट सत्र के दूसरे भाग में यह अनुमति नहीं मिलती है तो 60 दिनों तक सदन की कार्यवाही में अनुपस्थित रहने को लेकर अमृतपाल सिंह की सदस्यता खुद-ब-खुद रद्द हो जाएंगी.
मामले की सुनवाई अगले सप्ताह के लिए स्थगित
अमृतपाल सिंह की सदन की कार्यवाही में शामिल होने की मांग वाली याचिका पर कोर्ट में लोकसभा सचिवालय की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल सत्य पाल जैन और अधिवक्ता धीरज जैन पेश हुए. उन्होंने कोर्ट को बताया कि कि देब की अध्यक्षता वाली समिति का गठन 24 फरवरी को किया गया. यह सांसदों के अवकाश संबंधी आवेदनों पर विचार करेगी और सदन को उचित सिफारिश करेगी.
अमृतपाल के वकील आरएस बैंस अदालत में पेश नहीं हो सके और उन्होंने दलीलों के लिए अतिरिक्त समय मांगा. अदालत ने मामले की सुनवाई अगले सप्ताह के लिए स्थगित कर दी है. अमृतपाल ने दलील दी है कि संविधान के अनुच्छेद 101 के अनुसार अगर कोई सांसद लगातार 60 दिनों तक संसद के सत्र से अनुपस्थित रहता है, तो उसकी सदस्यता समाप्त हो जाती है. ऐसे में उसे कार्यवाही में हिस्सा लेने की अनुमति दी जाए.