Vayam Bharat

Kalashtami Vrat 2024: कालाष्टमी पर इन 5 उपायों से कालभैरव को करें खुश, जीवन में नहीं आएंगे कष्ट!

हिंदू धर्म में कालाष्टमी का व्रत का बहुत अधिक महत्व होता है. इसे काल भैरवाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन भगवान शिव के अंश कालभैरव की पूजा-अर्चना करने का विधान है. इस व्रत को करने से लोगों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं. पंचांग के अनुसार, हर महीने कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी मनाई जाती है. कालाष्टमी के दिन पर इन विशेष उपायों को करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है. साथ ही आपके सभी कष्ट दूर हो जाते हैंं. इस अषाढ़ मास की कालाष्टमी का पर्व 28 जून दिन शुक्रवार को पड़ रहा है.

Advertisement

कालाष्टमी तिथि और मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, अषाढ़ माह के ​कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 28 जून दिन शुक्रवार को शाम 04 बजकर 27 मिनट पर प्रारंभ होगी. यह तिथि अगले दिन 29 जून शनिवार को दोपहर 02 बजकर 19 मिनट तक मान्य है. आषाढ़ कालाष्टमी व्रत की पूजा के लिए निशिता मुहूर्त की मान्यता है, इस वजह से आषाढ़ कालाष्टमी का व्रत 28 जून को ही रखा जाएगा. कालाष्टमी व्रत के दिन काल भैरव की पूजा रात के समय में की जाती है. हालां​कि तंत्र-मंत्र की सिद्धि के लिए निशिता काल में काल भैरव की पूजा करते हैं.

कालाष्टमी के दिन करें ये 5 उपाय

कालाष्टमी के दिन भगवान कालभैरव के सामने सरसों के तेल में दीपक जलाएं और श्रीकालभैरवाष्टकम का पाठ करें. इस पाठ को करने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं.

कालाष्टमी के दिन भगवान शिव की पूजा अर्चना होती है. इस खास दिन पर भगवान शिव पर 21 बेलपत्र चढ़ाएं. इन सभी बेलपत्रों पर चंदन से ऊं नम: शिवाय लिखा होना चाहिए. इससे आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होगी.

कालाष्टमी के दिन काले कुत्ते को रोटी खिलाएं. इस उपाय को करने से कालभैरव के साथ शनिदेव भी प्रसन्न होते हैं. इस उपाय को करने के लिए अगर आपको काला कुत्ता नहीं मिल रहा है तो किसी अन्य कुत्ते को रोटी खिलाएं.

अगर घर में किसी भी तरह की परेशानी है तो कालाष्टमी के दिन काल भैरव के आगे खुशबूदार 33 अगरबत्तियां जलाएं. ऐसा करने से आपकी सभी परेशानियां दूर हो जाती है.

आज कालाष्टमी के दिन से अगले 40 दिन तक काल भैरव भगवान के मंदिर जाएं. इससे भगवान काल भैरव प्रसन्न होंगे और आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करेंगे. इस नियम को चलीसा कहते हैं.

कालाष्टमी का महत्व

भगवान काल भैरव की उत्पत्ति शिव के रोद्ररुप में हुई थी. इस दिन विधि-विधान से पूजा करने से काल भैरव भगवान खुश होते हैं. इस दिन भक्त भगवान काल भैरव के सौम्य रूप बटुक की पूजा करते हैं. इस दिन व्रत करने से लोगों के सभी दुख दूर हो जाते हैं. इतना ही नहींं इस व्रत को करने से हमेशा भगवान काल भैरव की कृपा बनी रहती है. जीवन में आने वाली परेशानियों से छुटकारा मिलता है और घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है.

 

Advertisements