भगवान श्री राम का जन्म उनके भक्तों द्वारा भक्तिपूर्वक मनाया जाता है. भक्ति और शक्ति का प्रतीक रामनवमी का त्योहार भक्त हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं. भगवान राम के प्रति अपनी आस्था व्यक्त करते हैं। रामनवमी के दिन पूजा के साथ-साथ सूरत के लोगों के लिए एक और बात खास होती है. इस दिन राम भक्तों को स्वर्णिम रामायण के दर्शन होते हैं. यह स्वर्ण रामायण वर्ष में एक दिन भक्तों के दर्शन हेतु रखी जाती है. भक्त इस स्वर्णिम रामायण को केवल रामनवमी के दिन ही देख सकते हैं. अगर आप इस स्वर्णिम रामायण को दूसरी बार देखना चाहते हैं तो आपको एक साल तक इंतजार करना होता है.
*5 करोड़ बार लिखा गया श्री राम*
530 पेज की सोने की रामायण 222 तोला सोने की स्याही से लिखी गई है. जिसका वजन 19 किलो है. 10 किलो चांदी, 4000 हीरे, माणिक, पन्ना और नीलम से सजाया गया है, जिसकी कीमत करोड़ों में है. स्वर्ण रामायण के मुख्य पृष्ठ पर शिव की एक तोला सोने की और हनुमान की आधा तोला सोने की मूर्ति बनी हुई है. राम भाई भक्त द्वारा यह स्वर्णिम रामायण 1981 में विशेष रूप से पुष्य नक्षत्र में लिखी गई थी. इस प्रकार यह रामायण कुल 9 महीने और 9 घंटे में लिखी गई. जिसमें 12 लोग शामिल थे. राम के जीवन को 530 पृष्ठों में दर्शाया गया है. इस रामायण में श्री राम को 5 करोड़ बार लिखा गया है.
*पानी से धोने पर भी इस पर कोई असर नहीं होता*
रामायण लिखने वाले रामभाई भक्त के रिश्तेदार गुणवंत भाई ने बताया कि रामायण का ऑर्डर देने के लिए पन्ने जर्मनी से आए थे. यहां तक कि पानी से धोने पर भी इस पर कोई असर नहीं होता है. जर्मनी का यह कागज इतना सफेद होता है कि हाथ से छूने पर भी इस पर कोई दाग नहीं लगता. साल में एक बार इस रामायण को भक्तों के दर्शन के लिए रखा जाता है. इस स्वर्णिम रामायण के दर्शन कर भक्त भी धन्य हो जाते हैं. दर्शन के बाद इसे बैंक में रख दिया जाता है.