बिहार में इस समय वोटर लिस्ट रीविजन (SIR) को लेकर सियासी बहस छिड़ी हुई है. इसी बीच सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. कोर्ट ने चुनाव आयोग से फिर कहा कि वह बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के दौरान मतदाताओं की पहचान साबित करने के लिए आधार कार्ड और मतदाता फोटो पहचान पत्र (वोटर आईडी) को स्वीकार्य दस्तावेज के रूप में शामिल करने पर विचार करे.
सुप्रीम कोर्ट ने मामले से जुड़े पक्षों से कहा है कि वो मामले में बहस करने के लिए कितना समय लेंगे, मंगलवार को सुनवाई की अगली तारीख की जानकारी दी जाएगी. इससे पहले भी सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से आधार कार्ड, राशन कार्ड और ईपीआईसी (वोटर आईडी कार्ड) को शामिल करने को कहा था.
EC ने क्या दलील दी?
इस पर सिब्बल ने कहा आयोग ने नहीं शामिल किया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आधार और ईपीआईसी (EPIC) तो दस्तावेजों में शामिल किया जा सकता है. चुनाव आयोग के वकील राकेश द्विवेदी ने कहा कि राशन कार्ड पर आपत्ति है. ईपीआईसी इसलिए नहीं क्योंकि यह विशेष गहन पुनरीक्षण है. साथ ही कहा, आधार फॉर्म में मेंशन हैं.
कोर्ट ने कहा, फर्जी लोगों पर एक्शन लें
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आधार और वोटर आईडी को शामिल करें और कोई फर्जी मिले तो केस टू केस बेसिस पर एक्शन लें. लेकिन, इन दोनों को ग्यारह दस्तावेजों में शामिल करें. कोर्ट ने कहा, हम कल इस पर सुनवाई करेंगे. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मंगलवार सुबह 10.30 बजे से मामले पर सुनवाई कर सकते हैं.
याचिकाकर्ताओं ने ड्राफ्ट पब्लिश होने को लेकर सवाल उठाया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमने चुनाव आयोग का हलफनामा पढ़ा है. हम मंगलवार को इस पर विचार करेंगे.
मंगलवार को होगी बहस की तारीख तय
जस्टिस बागची ने कहा कि चुनाव आयोग का कहना है कि मसौदा सूची में जनवरी 2025 की सूची में शामिल सभी नाम शामिल होंगे, साथ ही अगर कोई आपत्ति हो तो उसे भी शामिल किया जाएगा. जस्टिस कांत ने कहा कि मंगलवार सुबह 10:30 बजे से पहले हमें समय-सीमा बताएं. फिर मंगलवार को हम सुनवाई कार्यक्रम की घोषणा करेंगे.
ड्राफ्ट वोटर लिस्ट पर रोक नहीं
सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को तय करेगा कि कब एसआईआर पर सुनवाई की जाएगी. सुप्रीम कोर्ट ने ड्राफ्ट वोटर लिस्ट के प्रकाशन पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि ड्राफ्ट लिस्ट की वैधता लंबित याचिकाओं के अंतिम निर्णय के अधीन होगी.
सुप्रीम कोर्ट ने दोहराया कि आधार और वोटर ID को नामांकन के लिए वैध दस्तावेज माना जाए. कोर्ट ने चेताया कि आधार और वोटर ID को न मानने से बड़े पैमाने पर बाहर किए जाने की स्थिति बन सकती है. साथ ही कोर्ट ने कहा, कोशिश जन-समावेशन (Mass Inclusion) की होनी चाहिए, जन-बहिष्कार (Mass Exclusion) की नहीं.
अधिवक्ता ने ड्राफ्ट पर रोक लगाने के लिए कहा
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने बेंच से मसौदा सूची की अधिसूचना पर रोक लगाने का आग्रह करते हुए कहा कि इससे लगभग 4.5 करोड़ मतदाताओं को असुविधा होगी. उन्होंने कहा कि मसौदा सूची प्रकाशित होने के बाद बाहर किए गए लोगों को आपत्तियां दर्ज कराने और सूची में नाम शामिल करने के लिए कदम उठाने होंगे. उन्होंने बताया कि 10 जून को रोक लगाने की प्रार्थना नहीं की गई क्योंकि न्यायालय मसौदा प्रकाशन की तारीख से पहले सुनवाई के लिए सहमत हो गया था.