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एक बड़े अस्पताल ने इलाज के लिए आठ लाख रुपये मांगे, दूसरे अस्पताल ने 128 रुपये में ठीक कर दिया

जिस मरीज की जान को खतरा बताते हुए मेदांता अस्पताल ने इलाज के लिए आठ लाख रुपये मांगे, उसे दूसरे निजी अस्पताल ने मात्र 128 रुपये की दवा देकर ठीक कर दिया. मरीज को गैस की समस्या हुई थी। उधर, मेदांता के डॉक्टर मरीज के वॉल्व बदलने की बात कर रहे थे. तीमादारों का यह भी आरोप है कि जब उन्होंने मेदांता अस्पताल में इलाज करवाने में असमर्थता जताई तो उनसे अभद्रता की गई. बड़ी मुश्किल से मरीज को छोड़ा गया. तीमारदार ने मुख्यमंत्री से लिखित शिकायत करते हुए मेदांता अस्पताल के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की मांग की. इसके बाद मामले की जांच के आदेश दिए गए हैं.

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जानकारी अनुसार सुशांत गोल्फ सिटी के मोहन स्वरूप भारद्वाज 23 मई को घर पर गश खाकर गिर गए. शरीर से पसीना आने लगा. भाई व पत्नी उन्हें लेकर मेदांता अस्पताल ले गए. यहां डॉक्टरों ने एंजियोग्राफी समेत अन्य जांचें कीं. इसके बाद मरीज के हार्ट में वॉल्व बदलने की बात कहते हुए इलाज के लिए करीब आठ लाख रुपये की तत्काल व्यवस्था करने को कहा. यह भी कहा, जल्दी करो, वरना आधे घंटे में मरीज मर जाएगा.

परिजनों ने दो लाख रुपये होने की बात कहते हुए इलाज करवाने में असमर्थता जताई और मरीज को दूसरे अस्पताल ले जाने लगे. आरोप है कि इस पर भड़के डॉक्टर व स्टाफ उनसे अभद्रता करने लगा. काफी देर की मशक्कत पर मरीज को छोड़ा. उधर, दूसरे निजी अस्पताल में मरीज को गैस की समस्या दूर करने वाले दो इंजेक्शन व कुछ दवाएं दी गई. इसका खर्च मात्र 128 रुपए आया. सेहत में सुधार होने के बाद मरीज को डिस्चार्ज कर दिया गया.

हमने तो त्वरित इलाज दिया…
मेदांता हॉस्पिटल के अधीक्षक के मुताबिक मरीज ओपीडी में चेस्ट दर्द के साथ आए थे. जांच में उनके खून में ट्रोपोनिन आई की मात्रा ज्यादा मिली. पता चला कि उन्हें हार्ट की प्रॉब्लम है. ईसीजी में हार्ट में ब्लाकेज के संकेत मिले. एंजियोग्राफी में पता चला कि एक नाड़ी में सौ और दूसरी में 80 प्रतिशत ब्लॉकेज है. एंजिप्लास्टी का सुझाव दिया गया, जिसके लिए मरीज और उनकी पत्नी तैयार नहीं थे. हॉस्पिटल से जाते वक्त सारी जांच रिपोर्ट दे दी गई, जिसके रिकॉर्ड हॉस्पिटल में हैं. मरीज से कोई अनुचित व्यवहार या अभद्रता नहीं की गई. हमने तो त्वरित इलाज दिया.

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