शहडोल: शहडोल जिले के मेडिकल कॉलेज में जुड़ा बच्चों ने जन्म लिया है. बच्चों के शरीर की बनावट देख परिजन सहित डॉक्टर भी हैरान रह गए. क्योंकि बच्चों के दो शरीर तो हैं लेकिन दिल एक ही है. यानी दोनों शरीर से जुड़े हुए हैं. मेडिकल कॉलेज के अधीक्षक डॉक्टर नागेंद्र सिंह का कहना है कि, ”दोनों बच्चे सीने से जुड़े हुए हैं. जिन्हें एसएनसीयू वार्ड में रखकर उपचार दिया जा रहा है. बच्चे दो हैं लेकिन दिल एक ही है.”
दो जिस्म, एक दिल वाले बच्चों का जन्म
अनूपपुर जिले के कोतमा के रहने वाले रवि जोगी की पत्नी वर्षा जोगी को प्रसव पीड़ा हुई तो उसे शहडोल मेडिकल कॉलेज लाया गया. जहां मेडिकल कॉलेज में उनका सीजर किया गया. जिसमें एक ऐसे जुड़वा बच्चों ने जन्म लिया जिसके दिल एक ही हैं. विशेषज्ञों के मुताबिक, ऐसे मामले यदा कदा ही सामने आते हैं, जिसमें दो अलग-अलग भ्रूण प्रारंभ व्यवस्था में गर्भ के अंदर एक दूसरे से चिपक जाते हैं. जिससे ऐसी स्थिति निर्मित हो जाती है. ऐसे बच्चों का जीवन आगे स्थिर रह पाना बड़ा ही कठिन होता है.
लाखों में एक ही होता है ऐसा बच्चा
मेडिकल कॉलेज के अधीक्षक डॉक्टर नागेंद्र सिंह का कहना है, ”ऐसे मामले लाखों में एक ही आते हैं. ऐसे नवजातों को सीमन्स ट्विंस भी कहा जाता है. जिसमें दो अलग-अलग भ्रूण शुरुआती अवस्था में गर्भ के अंदर एक दूसरे से चिपक जाते हैं. जिससे ऐसी स्थिति निर्मित होती है. ऐसे बच्चों का जीवन आगे स्थिर रह पाना बहुत कठिन होता है. दोनों के दो सर है, दो चेहरे हैं, लेकिन किडनी, लीवर और ब्लेंडर एक-एक हैं. इन्हें अलग नहीं किया जा सकता. ऐसे बच्चों को कोजॉइंड ट्विंस भी कहा जाता है.” डॉक्टर का कहना है कि दुनिया में 2 लाख में से एक बच्चा ऐसा पैदा होता है. ऐसे 95 फीसदी बच्चे जन्म के 1 साल के भीतर दम तोड़ देते हैं. एक अनुमान यह भी है कि 2 लाख में से केवल एक जुड़वा बच्चा ही ऐसा होता है जो लंबा जीवन जीता है.’
ऑपेरशन आसान नहीं
शहडोल मेडिकल कॉलेज के अधीक्षक नागेंद्र सिंह का कहना कि दोनों बच्चे सीने से जुड़े हुए हैं. इनका शरीर सामान्य तरीके से विकसित नहीं हो सका है. बनावट के कारण ऑपरेशन भी कठिन है. नवजातों का शरीर सीने के पास से आपस में जुड़ा है. लेकिन दिल एक होने के कारण स्थिति सामान्य नहीं है. बच्चों के माता-पिता उन्हों कहीं ले जाने को तैयार नहीं हैं. बच्चों की जांच की जा रही है, कहीं और कोई विकृति तो नहीं है.”
चिंता में परिजन
इस तरह के बच्चों के जन्म के बाद परिजन का कहना है कि, ”नवजातों को जन्म देने वाली मां समेत परिवार के लोग भी चिंता में हैं. उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि शरीर से एक दूसरे से जुड़े बच्चों का पालन पोषण कैसे करेंगे, भविष्य में इनके स्वास्थ्य का क्या होगा.”