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एक ‘झपकी’ और ₹1990Cr अकाउंट में ट्रांसफर, बैंक ने नौकरी से निकाला, फिर कोर्ट ने…

सोशल मीडिया (Social Media) पर करीब 12 साल पुराना एक मामला तेजी से वायरल हो रहा है, जो जर्मनी के एक बैंक से जुड़ा हुआ है. दरअसल, साल 2012 में यहां के एक बैंक के कर्मचारी ने 222 मिलियन यूरो (करीब 1990 करोड़ रुपये से ज्यादा) गलत अकाउंट में ट्रांसफर कर दिए थे और ये सब हुआ था काम के दौरान उसे आई एक झपकी के चलते. बैंक ने इस गलती के कारण उसे नौकरी से निकाल दिया था, लेकिन कोर्ट ने उस कर्मचारी को राहत देते हुए उसे बहाल करने का आदेश दिया. आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला…

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12 पहले घटी थी ये घटना
ये पूरा मामला साल 2012 का है, जब एक बैंक क्लर्क की गलती ने बड़ी रकम को गलत अकाउंट में ट्रांसफर कर दिया था. दरअसल, बिजनेस टुडे पर छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, जर्मनी में एक बैंक में काम करने वाले क्लर्क को किसी ग्राहक के अकाउंट में महज 64. 20 यूरो भेजने थे, लेकिन इस काम को करने के दौरान उसे झपकी आ गई और कंप्यूटर के की-बोर्ड पर उसकी उंगली रखी ही रह गई. नींद का साइडइफेक्ट ये हुआ कि 64 यूरो की मामूली रकम की जगह उस खाते में 222 मिलियन यूरो ट्रांसफर हो गए.

गलती पर चली गई थी कर्मचारी की नौकरी
रिपोर्ट के मुताबिक, मामला संज्ञान में आने पर हड़कंप मच गया था और आनन-फानन में एक अन्य बैंक कर्मचारी ने इस गलती को पकड़ते हुए ट्रांजैक्शन को स्टॉप कर दिया था. लेकिन इस मामले में बड़ी लापरवाही उजागर हुआ और क्लर्क के अलावा सुपरवाइजर पर भी सवाल उठे, कि इस ट्रांजैक्शन को उसके द्वारा अप्रूवल कैसे दिया गया. इस गलती पर बैंक की ओर से संबंधिक कर्मचारी को बर्खास्त कर दिया था, जिसके बाद जर्मन बैंक के साथ उसकी कानूनी लड़ाई शुरू हो गई थी.

फिर अदालत ने सुनाया ये फैसला
लंबी कानूनी लड़ाई के बाद जर्मनी के हेस्से स्टेट की लेबर कोर्ट की ओर से इस मामले में आदेश दिया गया. इस पूरे मामले में कोर्ट ने बैंक द्वारा कर्मचारी को नौकरी से निकालने के फैसले को गलत करार दिया और कहा कि यह गलती क्लर्क ने जानबूझकर नहीं की थी. अदालत की ओर से कहा गया कि उस कर्मचारी ने भले ही अपनी गलती को नजरअंदाज किया हो, लेकिन उसके कार्यों के लिए उसे बर्खास्त नहीं किया जाना चाहिए.

कोर्ट बोला- बर्खास्तगी नहीं, एक चेतावनी ही काफी
इसके अलावा कोर्ट जज ने कहा कि उस कर्मचारी पर समय का बहुत दबाव था, वह रोजाना सैकड़ों लेन-देन की समीक्षा करता था. ईटी की रिपोर्ट के मुताबिक, कोर्ट की ओर से अपने आदेश में ये बताया गया कि 222 मिलियन यूरो के गलत ट्रांजैक्शंस वाली घटना के दिन कर्मचारी ने 812 डॉक्युमेंट्स को संभाला था और हर डॉक्युमेंट्स पर वो महज कुछ सेकेंड का समय ही दे पा रहा था. अदालत ने अपने आदेश में इस बात पर जोर दिया कि कर्मचारी की ओर से जानबूझकर की गई लापरवाही का कोई सबूत नहीं मिला. ऐसे में इस मामले में बर्खास्तगी के बजाय, एक औपचारिक चेतावनी ही पर्याप्त थी.

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