लोकसभा में मंगलवार को यानी 17 दिसंबर को एक देश एक चुनाव को लेकर 129वां संविधान संशोधन बिल पेश हो सकता है. विस्तृत चर्चा और सहमति बनाने के लिए बिल को जेपीसी में भेजा जाएगा. कल ही जेपीसी का गठन हो जाएगा जिसमें बीजेपी और कांग्रेस समेत तमाम दलों के सदस्यों के नाम का ऐलान भी होगा.
लोकसभा में यह बिल इससे पहले सोमवार यानी 16 दिसंबर को पेश होने वाला था, लेकिन फिर संशोधित कार्यसूची से इसे हटा दिया गया था. इससे पहले शुक्रवार को जारी की गई कार्यसूची में कहा गया था कि सोमवार को लोकसभा में रखा जाएगा. मगर यह बिल सोमवार को लोकसभा में नहीं पेश किया गया था. इसी के बाद सूत्रों के मुताबिक बिल को कल पेश किया जा सकता है.
बिल में क्या प्रस्ताव है?
संसद का शीतकालीन सत्र 25 नवंबर को शुरू हुआ था और यह 20 दिसंबर को समाप्त होगा. पीएम मोदी की कैबिनेट ने वन नेशनल वन इलेक्शन बिल को 12 दिसंबर को मंजूरी दी थी. इस विधेयक में 2034 के बाद एक साथ चुनाव कराने का प्रस्ताव है. साथ ही सरकार ने बिल का मसौदा लोकसभा सदस्यों को भेज दिया है.
वन नेशन वन इलेक्शन बिल के जरिए संविधान में दो मुख्य बदलाव किए जाने हैं. इससे 129वां संविधान संशोधन और केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली और जम्मू-कश्मीर के कानून में बदलाव होगा. एक देश एक चुनाव से जुड़े जो दो बिल सरकार लाने जा रही है, उनका नाम केंद्र शासित प्रदेश कानून (संशोधन) विधेयक 2024 और संविधान (129वां) विधेयक 2024 है.
क्या बदलाव किए जाएंगे?
इस बिल को पेश करके सरकार संविधान के चार अनुच्छेद में बदलाव का प्रस्ताव रखेगी. अनुच्छेद 82ए, 83, 172 और 327 हैं में संशोधन का प्रस्ताव रखा जाएगा. इस के तहत अनुच्छेद 82ए संविधान संशोधन विधेयक में एक नया आर्टिकल (लोकसभा और सभी विधानसभा चुनाव के लिए एक साथ चुनाव) शामिल करना और आर्टिकल 83 (संसद के सदनों का कार्यकाल), आर्टिकल 172 (राज्य विधानसभाओं का कार्यकाल) और आर्टिकल 327 (संशोधन का प्रस्ताव) में संशोधन करना शामिल है. संविधान के आर्टिकल 327 में निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन शब्दों को एक साथ चुनाव कराना शब्दों से बदल दिया जाएगा.
पहले भी कराए जाते थे एक साथ चुनाव
देश के पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में इस बिल को लेकर एक समिति बनी थी. देश के पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में इस बिल को लेकर एक समिति बनी थी. देश में एक साथ चुनाव कराने के लिए रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में 2 सितंबर, 2023 को एक समिति बनाई गई थी. समिति ने पूरे देश भर में एक साथ चुनाव कराने के लिए 14 मार्च, 2024 को राष्ट्रपति को अपनी सिफारिशें सौंपी थीं.
सरकार ने कहा कि साल 1951-52, 1957, 1962 और 1967 में लोकसभा और सभी राज्य विधानसभाओं के आम चुनाव एक साथ हुए थे. हालांकि, 1968 और 1969 में कुछ विधानसभाओं के समय से पहले भंग होने के चलते लोकसभा के एक साथ चुनाव कराने की प्रक्रिया बाधित हो गई थी और अलग-अलग चुनाव कराए जाने लगे.