क्या आप भी ऑनलाइन ऑर्डर करके खाना मंगाते हैं और स्विगी, जोमैटो जैसे प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल करते हैं? तो फिर अब आपकी जेब ज्यादा ढीली हो सकती है और वो भी आने वाले त्योहारी सीजन में, जबकि ऑनलाइन फूड की डिमांड में अक्सर तेज इजाफा देखने को मिलता है. दरअसल, बीते दिनों सरकार की ओर से जीएसटी काउंसिल की बैठक में ई-कॉमर्स और क्विक कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स की डिलीवरी सर्विस पर 18% जीएसटी का ऐलान किया था. जिसके बाद नुकसान की भरपाई के लिए तमाम कंपनियों ने टैक्स लागू होने से पहले ही ग्राहकों को बड़ा झटका दे दिया है.
डिलीवरी पर 18% का लगा है टैक्स
बीते 3 सितंबर को हुई जीएसटी काउंसिल की 56वीं बैठक में जीएसटी रिफॉर्म से जुड़े कई बड़े ऐलान किए गए. इसमें शुरुआत से लागू 4 टैक्स स्लैब की जगह अब 5%-18% के सिर्फ दो टैक्स स्लैब रह गए हैं. तो वहीं घरेलू इस्तेमाल से लेकर टीवी-एसी, कार-बाइक्स समेत तमाम चीजों के दाम घटाने की घोषणा भी की गई. वहीं कुछ ऐसे सामान भी हैं, जिनपर टैक्स का बोझ बढ़ाया गया या नया टैक्स लगाया गया है. इस बीच जीएसटी काउंसिल की ओर से ई-कॉमर्स और क्विक कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स को डिलीवरी सर्विस पर 18% टैक्स लगाया गया है, जो 22 सितंबर से लागू होगा. बता दें कि इससे पहले ये सर्विस टैक्स के दायरे से बाहर थी, जिसे अब CGST Act की धारा 9(5) के तहत शामिल किया गया है.
एक ओर जहां स्विगी ने अपना प्लेटफॉर्म फीस को जीएसटी समेत 15 रुपये कर दिया है, तो वहीं दूसरी ओर जोमैटो ने भी अपना चार्ज बढ़ाकर 12.50 रुपये (जीएसटी को छोड़कर) कर दिया है. सिर्फ यही नहीं बल्कि फूड डिलीवरी सेक्टर की एक और बड़ी कंपनी मैजिकपिन ने भी जीएसटी के बिजनेस पर पड़ने वाले व्यापक असर को देखते हुए अपनी प्लेटफॉर्म फीस को संशोधित करके 10 रुपये प्रति ऑर्डर करने का ऐलान किया है.
स्विगी-जोमैटो पर इतना बढ़ेगा बोझ
भारत के दो सबसे बड़े फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म जोमैटो और स्विगी पर विश्लेषकों के अनुमान के मुताबिक, सरकार की 18% जीएसटी के फैसले से बड़ा वित्तीय बोझ बढ़ेगा. उनका कहना है कि इससे दोनों कंपनियों पर संयुक्त रूप से लगभग 180-200 करोड़ रुपये का अतिरिक्त टैक्स बर्डन पड़ सकता है. ब्रोकरेज फर्म मॉर्गन स्टेनली ने कहा कि यह कदम फूड-टेक प्लेटफॉर्म के राजस्व मॉडल को और जटिल बनाने वाला साबित होगा.
विश्लेषकों ने आंकड़ों के साथ बताया है कि अप्रैल-जून तिमाही में जोमैटो ने 451 करोड़ रुपये और स्विगी के फ़ूड डिलीवरी बिजनेस ने 192 करोड़ रुपये का प्रॉफिट दर्ज किया है, लेकिन अतिरिक्त जीएसटी देनदारी से मार्जिन पर दबाव पड़ने की संभावना है. बिजनेस टुडे की रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि इससे इन फूड डिलीवरी प्लेफॉर्म्स के बिजनेस मॉडल में भी बदलाव दिखेगा, जैसे ये प्लेटफॉर्म अक्सर ऑर्डर की मात्रा बढ़ाने के लिए डिलीवरी शुल्क माफ भीकर देते हैं.