विपक्ष के हंगामे के बीच बिहार विधानसभा में पेपर लीक विरोधी विधेयक पारित कर दिया गया है. विधेयक में सरकारी भर्ती परीक्षाओं में कदाचार के लिए सख्त दंड का प्रस्ताव है.
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अगुवाई वाली बिहार की एनडीए सरकार ने विधानसभा में बुधवार 24 जुलाई को ध्वनि मत से एंटी-पेपर लीक विधेयक पारित कर दिया गया. बिहार विधानसभा द्वारा बिहार सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) विधेयक, 2024 पारित किए जाने के दौरान विपक्ष ने वॉकआउट किया.
संसदीय कार्य राज्य मंत्री विजय कुमार चौधरी द्वारा पेश किए गए एंटी-पेपर लीक विधेयक का उद्देश्य सरकारी भर्ती परीक्षाओं में कदाचार को रोकना है. विपक्ष के वॉकआउट के बीच विधेयक को ध्वनि मत से पारित कर दिया गया.
एंटी-पेपर लीक विधेयक में कदाचार में शामिल लोगों के लिए दंड का प्रस्ताव है, जिसमें न्यूनतम 10 साल की जेल की सजा और कम से कम ₹1 करोड़ का जुर्माना शामिल है.
यदि कोई भी एजेंसी कदाचार में शामिल होती है, तो अपराधियों के लिए 10 साल की कैद और न्यूनतम ₹1 करोड़ जुर्माने का प्रस्ताव है. इसीलिए यह सख्त कानून बनाया गया है और हमें उम्मीद है कि बिहार के मेधावी और मेहनती छात्रों का भविष्य सुरक्षित होगा.” विजय कुमार चौधरी ने बुधवार को पत्रकारों से यह बात कही. चौधरी ने कहा, आप सभी जानते हैं कि अभी NEET का मामला चल रहा है, जो सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है. यह सच है कि आज सार्वजनिक परीक्षाओं में पारदर्शिता और विश्वसनीयता बहाल करने की जरूरत है. जो लोग अनुचित साधनों का उपयोग करते हैं वे हमारे राज्य के बुद्धिमान, मेहनती छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करते हैं.”
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को 5 मई को आयोजित NEET-UG 2024 परीक्षा की वैधता को बरकरार रखा और इसे रद्द करने की मांग को खारिज कर दिया. भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा ने जोर देकर कहा कि परीक्षा की गुणवत्ता में प्रणालीगत उल्लंघन या व्यापक रिसाव का सुझाव देने के लिए कोई ठोस सबूत मौजूद नहीं है.
हज़ारीबाग और पटना में स्थानीय लीक को स्वीकार करने के बावजूद, पीठ ने निष्कर्ष निकाला कि इन घटनाओं ने देशभर में NEET-UG प्रक्रिया की समग्र अखंडता को कमजोर नहीं किया है.