भारत में मुस्लिम धर्मगुरुओं की सर्वोच्च संस्था ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने दिल्ली में वक्फ (संशोधन) विधेयक के खिलाफ जंतर-मंतर पर अपना विरोध प्रदर्शन किया. इस विरोध प्रदर्शन में AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवासी, कांग्रेस के लोकसभा सांसद गौरव गोगोई और टीएमसी की लोकसभा सांसद महुआ मोइत्रा समेत कई विपक्षी नेता शामिल हुए. इस बीच कांग्रेस नेता हरीश रावत ने केंद्र सरकार पर हमला बोला है.
हरीश रावत ने कहा, ‘मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड अल्पसंख्यकों का एक मुख्य संगठन है. अगर वह कुछ कहता है, तो उसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए. अगर कुछ ऐसा किया जाता है, जिससे अल्पसंख्यक सहमत नहीं हैं, तो हमें कम से कम एक न्यूनतम सहमति पर पहुंचने की कोशिश करनी चाहिए, ताकि उन्हें यह महसूस न हो कि उनकी बात अनसुनी हो रही है… उन्हें लगता है कि सरकार वक्फ संपत्तियों और उसकी स्वतंत्रता को खत्म करना चाहती है… उन्हें यह नहीं लगना चाहिए कि उन्हें धकेल रहे हैं. इससे हमारी वैश्विक छवि प्रभावित होती है… इससे पड़ोसी देशों में हमारे दुश्मनों को ताकत मिलती है.’
#WATCH | Dehradun, Uttarakhand: Congress leader Harish Rawat says, "The Muslim Personal Law Board is an umbrella organisation of the minorities. If it says something, then that should be taken seriously. If something is done to which the minorities don't agree, then we should try… pic.twitter.com/Vy56pWVBaj
— ANI (@ANI) March 19, 2025
वहीं, इस बिल को लेकर गौरव गोगोई ने भी सरकार पर प्रहार किया था. उन्होंने कहा था कि ये विधेयक संविधान पर हमला है. सरकार ने आपसे परामर्श नहीं किया, आपकी राय नहीं ली. हां, एक समिति बनाई गई थी. मैं इसका सदस्य था, इमरान मसूद थे, ओवैसी साहब थे. मैंने समिति की तानाशाही प्रकृति देखी और हमने हर विचार-विमर्श के बाद इसे उठाया.’
सपा ने कहा, आखिरी सांस तक लड़ेंगे
समाजवादी पार्टी के सांसद धर्मेंद्र यादव भी प्रदर्शन में मौजूद थे. उन्होंने मुस्लिम समुदाय से कहा था, ‘मैं आपको भरोसा दिलाता हूं कि अखिलेश यादव और सपा इस विधेयक के खिलाफ आखिरी सांस तक लड़ेंगे. अगर हमें अदालत भी जाना पड़े तो हम हर कदम पर आपके साथ हैं. रेल और रक्षा के बाद सबसे ज्यादा जमीन वक्फ के पास है. वे इसे लेना चाहते हैं, लेकिन हम ऐसा नहीं होने देंगे.’ टीएमसी सांसद मोइत्रा ने कहा था कि ये विधेयक मुसलमानों को मताधिकार से वंचित करने के सरकारी प्रयासों की लंबी कड़ी में नवीनतम है.