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हमारी साझा सांस्कृतिक विरासत को खतरा… उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने जनसंख्या असंतुलन पर जताई चिंता

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने देश में जनसांख्यिकीय अव्यवस्था के बढ़ते खतरे पर गहरी चिंता जताई है. उन्होंने कहा कि इसके नतीजे परमाणु बम से कम खतरनाक नहीं है. जगदीप धनखड़ जयपुर के बिड़ला ऑडिटोरियम में चार्टर्ड एकाउंटेंट्स के एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे. इस दौरान उन्होंने कहा कि हाल के समय में जनसांख्यिकीय अव्यवस्था ने कुछ क्षेत्रों को राजनीतिक किलों में बदल दिया है, जहां चुनावों का कोई वास्तविक अर्थ नहीं, यह तो बेहद चिंताजनक है, लोकतंत्र ने अपना सार खो दिया है.

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उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत को एक स्थिर वैश्विक शक्ति बने रहना चाहिए. इस ताकत को अभी और उभरना होगा. यह सदी भारत की होनी चाहिए. यह मानवता के लिए अच्छा होगा, जो दुनिया में शांति और सद्भाव में योगदान देगा. इसी के साथ उन्होंने ये भी कहा कि अगर हम इस देश में होने वाली जनसांख्यिकीय उथल-पुथल के खतरों से आंखें मूंद लेते हैं तो यह देश के लिए हानिकारक होगा.

परेशान करने वाले पैटर्न उभरा

उपराष्ट्रपति ने इस बात पर जोर दिया कि पिछले कुछ दशकों में इस जनसांख्यिकीय बदलाव का विश्लेषण करने से एक परेशान करने वाले पैटर्न का पता चलता है. यह हमारे मूल्यों और हमारे सभ्यतागत लोकाचार और लोकतंत्र के लिए चुनौती है. यदि इस चिंताजनक चुनौती को व्यवस्थित ढंग से संबोधित नहीं किया गया, तो यह राष्ट्र के लिए अस्तित्व संबंधी खतरे में बदल जाएगा. उन्होंने आगे कहा, ऐसा दुनिया में हुआ है. मुझे उन देशों का नाम लेने की जरूरत नहीं है जिन्होंने इस जनसांख्यिकीय उथपुथल के चलते अपनी पहचान 100 फीसदी खो दी है.”

उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा कि हम बहुसंख्यक के रूप में सभी का स्वागत करते रहे हैं. हम बहुसंख्यक के रूप में सहिष्णु हैं. हम बहुमत के रूप में एक सुखदायक पारिस्थितिकी तंत्र उत्पन्न करते हैं. उन्होंने इसी के साथ विभाजनकारी प्रवृति को छोड़कर राष्ट्रवादी दृष्टिकोण अपनाने का आग्रह किया और बताया कि यह भारत की विविधता को बढ़ावा देता है.

विध्वंसक ताकतों पर वैचारिक प्रहार हो

भारत की एकता के महत्व को रेखांकित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा, हमारे साझा सांस्कृतिक विरासत पर कुठाराघात हो रहा है. उसको हमारी कमजोरी बताने का प्रयास हो रहा है. ऐसी ताकतों पर वैचारिक और मानसिक प्रहार होना चाहिए. उन्होंने कहा राजनीति में कुछ लोगों को अगले दिन के अखबार की हेडलाइन के लिए राष्ट्रीय हित का त्याग करने या कुछ छोटे-मोटे पक्षपातपूर्ण हित साधने में कोई कठिनाई नहीं होती. हमें इस सोच को बदलने की जरूरत है.

भारत के विकास ने दुनिया को चौंकाया

भारत की विकास गति पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि हमारी विकास यात्रा दुनिया को चकित कर रही है. लेकिन सामाजिक एकता भंग होने, राष्ट्रवाद की भावना कम होने, राष्ट्र-विरोधी ताकतों के बढ़ने से आर्थिक वृद्धि को नुकसान होगा. इन खतरों के प्रति सचेत रहना चाहिए.

वाइस प्रेसिडेंट ने जोर देकर कहा, हम राजनीतिक सत्ता के लिए पागलपन की हद तक नहीं जा सकते. राजनीतिक शक्ति एक पवित्र लोकतांत्रिक प्रक्रिया के माध्यम से लोगों से उत्पन्न होनी चाहिए.

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