आउटसोर्स ने कलेक्ट्रेट को घेरा, मध्य प्रदेश में आउटसोर्स कर्मचारियों के नियमितीकरण की मांग तेज

रीवा: मध्य प्रदेश में आउटसोर्स और अस्थायी कर्मचारियों के नियमितीकरण की मांग एक बार फिर जोर पकड़ रही है. मध्य प्रदेश लघु वेतन कर्मचारी संघ ने अपनी विभिन्न मांगों को लेकर प्रदेश के मुख्य सचिव, उपमुख्यमंत्री और जिले के प्रभारी मंत्री को एक ज्ञापन सौंपा है. इस दौरान कर्मचारियों ने कलेक्ट्रेट कार्यालय पर विरोध प्रदर्शन भी किया और अपनी मांगों के समर्थन में जमकर नारे लगाए.

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संघ की सबसे प्रमुख मांग आउटसोर्स और अस्थायी कर्मचारियों को उनके वर्तमान विभागों में एक लघु कैडर बनाकर स्थायी करना है. यह मांग लंबे समय से लंबित है और कर्मचारी इसे जल्द से जल्द पूरा करने की अपील कर रहे हैं.

आउटसोर्स सेवा निगम बोर्ड का गठन

एक वैकल्पिक समाधान के तौर पर, संघ ने उत्तर प्रदेश की तर्ज पर एक आउटसोर्स सेवा निगम बोर्ड के गठन की मांग की है. इससे विभागों द्वारा सीधे वेतन भुगतान शुरू हो सकेगा और कर्मचारियों का शोषण रुकेगा.

न्यूनतम वेतन का प्रावधान

पंचायत चौकीदारों, चपरासियों, पंप ऑपरेटरों और स्कूलों व छात्रावासों के अंशकालिक अस्थायी कर्मचारियों को न्यूनतम वेतन प्रदान करने की मांग भी की गई है. ये कर्मचारी अक्सर बहुत कम वेतन पर काम करते हैं, जिससे उनके जीवन-यापन में कठिनाई आती है.

रिक्त पदों पर नियमितीकरण और ठेका प्रथा का अंत

संघ ने तीसरे और चौथे दर्जे के रिक्त पदों पर कार्यरत आउटसोर्स और अस्थायी कर्मचारियों को नियमित करने और ठेका प्रथा को पूरी तरह से समाप्त करने की भी मांग की है. उनका मानना है कि ठेका प्रथा कर्मचारियों के शोषण का एक बड़ा कारण है. कर्मचारियों का कहना है कि वे लंबे समय से अपनी मांगों को लेकर संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन सरकार उनकी समस्याओं पर ध्यान नहीं दे रही है. उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगें जल्द पूरी नहीं की गईं, तो वे अपना आंदोलन और तेज करेंगे. इस प्रदर्शन से यह साफ हो गया है कि मध्य प्रदेश में आउटसोर्स कर्मचारियों का मुद्दा एक गंभीर विषय है और सरकार को इस पर गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है.

 

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