ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने केंद्र सरकार द्वारा पेश किए गए 130वें संविधान संशोधन बिल पर कड़ा विरोध जताया है. ओवैसी का कहना है कि यह बिल लोकतंत्र की जड़ों को कमजोर करने वाला है और इसका इस्तेमाल पूरे देश पर कब्जा करने की साजिश के रूप में किया जाएगा.
ओवैसी ने संसद में चर्चा के दौरान कहा कि इस संशोधन में कई गंभीर खामियां हैं. उनका आरोप है कि केंद्र सरकार इस प्रावधान का फायदा उठाकर विपक्षी दलों की चुनी हुई सरकारों को अस्थिर करेगी. उन्होंने दावा किया कि इसके जरिए मंत्रियों और विधायकों की गिरफ्तारी आसान बना दी जाएगी, जिससे राज्यों की स्वतंत्रता प्रभावित होगी.
उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर यह संशोधन लागू हो गया, तो राज्यों की स्वायत्तता खत्म हो जाएगी और केंद्र सरकार किसी भी समय राज्य सरकारों को गिराने के लिए कदम उठा सकती है. ओवैसी ने कहा कि यह न केवल संघीय ढांचे पर हमला है बल्कि जनता के अधिकारों को भी छीनने वाला है.
बहस के दौरान उन्होंने केंद्र से पूछा कि आखिर इस बिल की इतनी जल्दी क्यों थी और क्यों इसे व्यापक परामर्श के बिना लाया गया. उनका कहना था कि सरकार को पहले सभी राज्यों, विशेषज्ञों और संवैधानिक विद्वानों से राय लेनी चाहिए थी. उन्होंने इसे संविधान की आत्मा के खिलाफ बताया.
विपक्षी दलों के कुछ नेताओं ने भी ओवैसी के तर्कों का समर्थन किया और कहा कि केंद्र को राज्यों की चुनी हुई सरकारों पर हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं होना चाहिए. हालांकि, सत्तारूढ़ दल का कहना है कि यह संशोधन पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए लाया गया है.
ओवैसी ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि यह कदम भारतीय लोकतंत्र को कमजोर करेगा और आने वाले समय में इसका दुष्परिणाम पूरे देश को भुगतना पड़ेगा. उन्होंने जनता से अपील की कि वह ऐसे संशोधनों के खिलाफ आवाज उठाए, ताकि संघीय ढांचे की रक्षा की जा सके और लोकतांत्रिक मूल्यों को कायम रखा जा सके.