सूरजपुर : राष्ट्रीय राजमार्ग-43 पर स्थित पचिरा टोल प्लाज़ा एक बार फिर सनसनीखेज घटना के कारण सुर्खियों में है. मंगलवार की देर रात टोल कर्मचारियों ने दुल्हन को लेकर लौट रहे परिवार पर जो कहर ढाया, उसने पूरे क्षेत्र को दहला दिया है। फास्टैग बैलेंस खत्म होने पर नगद देने की कोशिश करना परिवार को इतना महंगा पड़ेगा, इसका अंदाज़ा किसी ने नहीं लगाया था.
फास्टैग खत्म, नगद लेने से इंकार… और फिर शुरू हुई हैवानियत
जानकारी के मुताबिक इम्तियाज़ खान अपनी पुत्री की शादी के बाद दुल्हन को लेकर आनंद रिहंदम, कुरूवा से लौट रहे थे। जैसे ही गाड़ी पचिरा टोल प्लाज़ा पहुँची, फास्टैग बैलेंस खत्म हो गया. इम्तियाज़ ने नगद भुगतान की पेशकश की, लेकिन कर्मचारियों राजेश दुबे और उसके साथियों ने अचानक आक्रामक रूप धारण कर लिया. देखते ही देखते गाली-गलौज शुरू हो गई और कुछ ही पलों में मामला हाथापाई तक पहुँच गया.
दुल्हन के सामने लात-घूसे और लूटपाट
आरोप है कि टोलकर्मियों ने हाथों में हॉकी और डंडे लेकर इम्तियाज़ पर धावा बोल दिया. इस दौरान धक्का-मुक्की और मारपीट के बीच उनकी ₹18 हजार की कीमती घड़ी छीन ली गई। गाड़ी में बैठी दुल्हन और रिश्तेदार इस पूरे नज़ारे को देखते रह गए. परिवार का कहना है कि यह पूरी वारदात उनके लिए किसी भयावह सपने से कम नहीं थी.
पुराना रिकॉर्ड: टोल का इतिहास विवादों से भरा
पचिरा टोल प्लाज़ा का यह पहला विवाद नहीं है. यहां आए दिन स्थानीय लोगों से झगड़े, अभद्रता और जबरन वसूली के मामले सामने आते रहे हैं. ग्रामीण और जनप्रतिनिधि कई बार आंदोलन कर चुके हैं. सोशल मीडिया पर कर्मचारियों की गुंडागर्दी के वीडियो भी वायरल हो चुके हैं, लेकिन कार्रवाई के नाम पर अब तक सिर्फ आश्वासन ही मिले हैं.
नियमों की धज्जियां और प्रशासन की चुप्पी
एनएचएआई के नियम साफ कहते हैं—
10 सेकंड से अधिक इंतजार पर टोल माफ़.
दो टोल प्लाज़ा के बीच कम से कम 60 किमी की दूरी.
20 किमी दायरे के ग्रामीणों को छूट.
लेकिन सूरजपुर से महज 15 किमी दूरी पर स्थित यह टोल नियमों की धज्जियां उड़ाने में सबसे आगे है.स्थानीय लोगों का आरोप है कि प्रशासन की चुप्पी और मिलीभगत ने इन कर्मचारियों को बेलगाम बना दिया है.
पुलिस तक पहुँची शिकायत, फिर भी संदेह बरकरार
घटना के बाद पीड़ित ने कोतवाली में शिकायत दर्ज करानी चाही, लेकिन मामला दर्ज नहीं हुआ. मजबूरन उन्होंने पुलिस अधीक्षक सूरजपुर को ज्ञापन सौंपा. पुलिस का कहना है कि सीसीटीवी फुटेज खंगाले जा रहे हैं और दोनों पक्षों ने आवेदन दिया है. मगर बड़ा सवाल यह है—क्या इस बार आरोपियों पर कार्रवाई होगी या फिर मामला हमेशा की तरह ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा?
अब सब्र का बांध टूटने की कगार पर
लोग साफ कह रहे हैं—पचिरा टोल प्लाज़ा अब “वसूली और गुंडागर्दी” का पर्याय बन चुका है. अगर इस बार भी ठोस कार्रवाई नहीं हुई तो जनता का गुस्सा बड़ा आंदोलन रूप ले सकता है और स्थिति किसी बड़े हादसे का कारण बन सकती है.