पद्मश्री कैलाश खेर बोले- सरकार-जनता साथ आएंगे तो होगा चमत्कार:40वें चक्रधर समारोह की तारीफ की, इधर उनका प्रशस्ति पत्र जमीन पर पड़ा मिला

रायगढ़ में आयोजित 40वें चक्रधर समारोह का समापन शुक्रवार देर रात हुआ। समापन पर पद्मश्री कैलाश खेर ने अपनी प्रस्तुतियों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। अगले दिन शहर के एक निजी होटल में आयोजित प्रेसवार्ता में उन्होंने पत्रकारों से बातचीत की और समारोह की जमकर तारीफ की।

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कैलाश खेर ने कहा कि, जो जगता है वही जगाता है, जो जुड़ता है वही जोड़ता है। उन्होंने संगीत की परंपरा पर बात करते हुए कहा कि, शास्त्रीय संगीत से पहले गांव-गांव, गली-मोहल्लों में लोकसंगीत हुआ करता था, जो हमारी असली पहचान है। पढ़े-लिखे लोगों को शास्त्रीय संगीत भाता है जबकि कम पढ़े-लिखे लोग फोक संगीत को ज्यादा पसंद करते हैं।

उन्होंने कहा कि संगीत भारत के रग-रग में बसा है। यहां तक कि भीख मांगने वाला भी गाकर भीख मांगता है।

ऐसे आयोजन जारी रहने चाहिए

कैलाश खेर ने चक्रधर समारोह की सराहना करते हुए कहा कि, सरकार को इस तरह के बड़े आयोजन लगातार कराने चाहिए, जिससे कलाकारों को मंच मिल सके। उन्होंने कहा कि सरकार बहुत कुछ कर रही है, लेकिन जनता को भी जिम्मेदारी निभानी होगी। सरकार और सरोकार (जनता) साथ आ जाएं तो चमत्कार होगा।

परंपराओं को जीवित रखना कर्तव्य

उन्होंने कहा कि हमारी संस्कृति और परंपराओं का संरक्षण करना बेहद जरूरी है। त्योहारों को मनाना, बड़ों का सम्मान करना, उनके पैर छूना, ये सब हमारी पहचान हैं। इन्हें जीवित रखना हमारा कर्तव्य है।

कलाकारों को खुद तय करनी पड़ती है राह

रियलिटी शो से जुड़ी एक चर्चा पर उन्होंने कहा कि, कलाकारों को मंच मिलने के बाद आगे का सफर उन्हें खुद अपनी मेहनत से तय करना होता है। टीवी पर दिखने वाले कलाकारों के बारे में लोग मान लेते हैं कि वे जल्द टॉप पर पहुंच जाएंगे, लेकिन असल में प्रतिस्पर्धा बहुत बड़ी होती है।

जीवनशैली और अनुशासन पर बोले

कम उम्र में घर छोड़ने और खानपान की आदतों के बारे में उन्होंने कहा कि उन्होंने मीठा, खट्टा और ठंडा पीना सालों पहले ही छोड़ दिया है। मां ने जब कहा कि गाजर का हलवा और कलाकंद अब कहां मिलेगा, तब मैंने उनसे कहा कि आज के बाद मीठा ही नहीं खाऊंगा।

उन्होंने कहा कि यही वजह है कि लगातार विदेश और देश में शो करने के बावजूद उनका शरीर फिट और फुर्तीला है।

सफलता की पहली सीढ़ी असफलता

कैलाश खेर ने कहा कि, वे पिछले दस सालों से अपने जन्मदिवस पर नए गायकों को मंच देते आ रहे हैं। भारत में अब तक किसी गायक ने गायक को लॉन्च नहीं किया। हम ये कर रहे हैं।

उन्होंने संदेश देते हुए कहा कि “सफलता की पहली सीढ़ी असफलता होती है। कोई भी जन्म से सफल नहीं होता, हर किसी को एक प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है।”

जमीन पर पड़ा मिला प्रशस्ति पत्र

वहीं, शनिवार शाम को कैलाश खेर और उनकी टीम का प्रशस्ति पत्र जमीन पर पड़ा मिला। जिस लेकर सोशल मीडिया में कई तरह की प्रतिक्रियाएं लोगों की आने लगी है। टेंट उखाड़ने के दौरान स्थानीय युवक निमेश पांडेय ने देखा कि कुछ प्रशस्ति पत्र जमीन पर पड़े हुए हैं। उनका कहना है कि अभी तक इसके लिए कोई उनसे संपर्क नहीं किया है, लेकिन वे खुद इसे डाक के जरिए पद्मश्री कैलाश खेर को भेज देंगे।

उसने उसे उठाया और अपने फेसबुक अकाउंट पर पोस्ट किया। कई अलग-अलग लोगों ने भी इसे पोस्ट किया। एक युवक ने यह लिख कर पोस्ट किया कि यह प्रशस्ति पत्र कार्यक्रम में फेंका पाया जाना, रायगढ़ का अपमान है। इसमें कोई संदेह नहीं। इसके बाद से यह विषय शहर में चर्चा का विषय बना हुआ है।

हैंड-ओवर कर दिया गया था

चक्रधर समारोह के नोडल अधिकारी और एडीएम अपूर्व प्रियेश टोप्पों ने बताया कि कार्यक्रम के बाद जिस तरह हर आर्टिस्ट का सम्मान साल-श्रीफल और प्रशस्ति पत्र से किया जाता है। उसी तरह कैलाश का भी सम्मान करते हुए उन्हें प्रशस्ति पत्र हैंड ओवर कर दिया गया था। ऐसा कोई जानबूझकर नहीं करता है। किसी कारणवश वहां छुट गया होगा।

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