मणिपुर के बिश्नुपुर जिले में 19 सितंबर को 33वीं बटालियन असम राइफल्स के वाहन पर हमला हुआ, जिसमें 2 जवान शहीद हो गए और 5 घायल हुए. यह हमला पूर्वी क्षेत्र में सुरक्षा बलों पर टारगेट किए गए बड़े हमलों का हिस्सा माना जा रहा है. सुरक्षा एजेंसियां सतर्क हैं, क्योंकि बांग्लादेश और पाकिस्तान से खतरे बढ़ रहे हैं.
बिश्नुपुर हमला: क्या हुआ?
शाम 5:50 बजे इम्फाल से बिश्नुपुर जा रहे असम राइफल्स के मिनी ट्रक पर नंबोल सबल लीकाई में अज्ञात हथियारबंद लोगों ने अचानक हमला किया. शहीद हुए जवान नायब सुभेदार श्याम गुरुंग (58) और राइफलमैन रंजीत सिंह कश्यप (29) थे. घायलों को RIMS अस्पताल ले जाया गया, जहां वे स्थिर हैं.
किसी ग्रुप ने जिम्मेदारी नहीं ली, लेकिन संदेह मणिपुर के बैन ड्रग्स ग्रुपों पर है. मणिपुर गवर्नर अजय कुमार भल्ला ने इसे घिनौना कृत्य कहा. पूर्व सीएम एन. बिरेन सिंह ने भी निंदा की. सेना और पुलिस ने सर्च ऑपरेशन शुरू कर दिया. यह हमला AFSPA से मुक्त क्षेत्र में हुआ, जो मार्च 2025 में डिनोटिफाई किया गया था.
सुरक्षा स्रोतों के अनुसार, शेख हसीना सरकार गिरने के बाद (अगस्त 2024) बांग्लादेश में रेडिकल इस्लामिस्ट ग्रुप्स जैसे जमात-ए-इस्लामी, HUJI और Ansar Bangla की ताकत बढ़ी. ये पाकिस्तान की ISI से संपर्क में हैं. बांग्लादेश से अवैध हथियार और गोला-बारूद पूर्वोत्तर राज्यों में घुसपैठ कर रहे हैं. सुरक्षा समीक्षाओं में कई बरामदगी और गिरफ्तारियां हुईं.
ऑपरेशन सिंदूर (मई 2025) के बाद पाकिस्तान पूर्वी सीमा पर दबाव डाल रहा है. पाकिस्तानी आर्मी चीफ आसिम मुनीर के हालिया बयान से संकेत मिला कि वे बांग्लादेश के रेडिकल्स के साथ मिलकर पूर्वोत्तर में अशांति फैलाना चाहते हैं. जमात लीडर्स के बयान और ISI की इंफॉर्मेशन वॉरफेयर से खतरा साफ है. पूर्वोत्तर राज्यों में खतरा कल्पना नहीं, हकीकत है. 2025-26 में चुनावों के बीच अशांति फैलाने की साजिश चल रही है.
सुरक्षा एजेंसियां सतर्क: क्या कदम उठा रही हैं?
सुरक्षा बल हाई अलर्ट पर हैं. मणिपुर में सर्च ऑपरेशन चल रहे हैं. पूर्वी क्षेत्र में बांग्लादेश सीमा पर निगरानी बढ़ाई गई. खुफिया इनपुट्स से ISI के बांग्लादेश में ऑपरेशन्स का पता चला. सेना और CRPF ने संयुक्त अभियान शुरू किए.