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एक किताब बांटने से सुलग गया पाकिस्तान, समझें ‘असली और नकली’ मुसलमान पर बवाल की पूरी कहानी

पाकिस्तान में सोमवार को एक एतिहासिक फैसले के बाद हिंसा शुरू हो गई. हजारों कट्टरपंथी इस्लामाबाद की सड़कों पर उतर आए और देश की सुप्रीम कोर्ट की तरफ बढ़ने लगे. दरअसल कट्टरपंथियों का ये गुस्सा पाकिस्तान के चीफ जस्टिस काजी फैज ईसा के उस फैसले का विरोध में दिख रहा था, जिसमें उन्होंने ईशनिंदा को आरोपी एक अहमदिया शख्स को आरोपों से बरी कर दिया.

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पाकिस्तान के अल्पसंख्यक अहमदिया समुदाय के एक शख्स पर किताब के जरिए इस्लाम विरोधी बातें फैलाने का आरोप था. जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने उसे बरी कर दिया, सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद पाकिस्तान के हार्डलाइनर भड़क गए और फैसले को बदलने की मांग करने लगे.

क्या है पूरे बवाल की वजह?

पड़ोसी देश पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में फैली हिंसा की वजह के पीछे एक अहमदिया समुदाय का शख्स है, जिसका नाम मुबारक अहमद सानी बताया जा रहा है. मुबारक ने साल 2019 में एक कॉलेज में अहमदिया समुदाय की एक धार्मिक किताब ‘तफसीर-ए-सगीर’ छात्रों में बांटी. इस किताब में अहमदिया समुदाय के फाउंडर के बेटे मिर्जा बशीर अहमद ने कुरान की व्याख्या की है. आरोप है कि बशीर ने कुरान की अपने हिसाब से व्याख्या की है, मामले के सामने आते ही विवाद छिड़ गया. मुबारक को किताब बांटने के चार साल बाद 7 जनवरी, 2023 को ईशनिंदा के आरोप में गिरफ्तार किया गया.

यहां ध्यान देने वाली बात है कि मुबारक की गिरफ्तारी कुरान प्रिंटिंग एंड रिकॉर्डिंग (संशोधन) एक्ट, 2021 के अंदर हुई थी. बशीर ने कोर्ट में अपनी गिरफ्तारी को चुनौती देते हुए दलील दी कि जिस कानून के तहत उसे सजा दी जा रही है, किताब बांटने के समय (2019) वो कानून बना ही नहीं था. बशीर की दलील थी कि कानून न होने के वजह से वे उस समय अपने धर्म का प्रचार-प्रसार करने के लिए स्वतंत्र था. जिसके बाद कोर्ट ने उसे रिहा कर दिया. इसी तरह इस फैसले पर विवाद बढ़ने लागा और अब इतना फैल गया कि लोग सुप्रीम कोर्ट के जज का ही इस्तीफा मांगने लगे हैं.

कौन हैं अहमदिया मुस्लिम?

अहमदिया मुस्लिम इस्लाम धर्म से ही निकला एक समुदाय है, जिसको मुसलमान ‘काफिर’ (इन्कार करने वाला) मानते हैं, यानी जो इस्लाम की मूल बातों से इंकार करे. इसकी शुरुआत 19 वीं सदी के आखिर में मिर्ज़ा ग़ुलाम अहमद ने की. इसके अनुयाय पैगंबर मोहम्मद के बाद मिर्ज़ा ग़ुलाम अहमद को अल्लाह का पैंगंबर मानते हैं. जबकि मुसलमान पैगंबर मोहम्मद को अपना आखिरी नबी मानते हैं.

पाकिस्तान में सड़को पर उत्पात मचाने वाले लोग भी मुबारक अहमद सानी को उन लोगों में से मानते हैं, जो इस्लाम की मूल बातों से इंकार करते हैं, जो पैगंबर मोहम्मद को अपना आखिरी नबी नहीं मानते हैं. मुबारक पर ऐसी ही विचारधारा फैलाने का आरोप है.

अहमदिया वर्ग की शुरुआत पंजाब के कादियानी कस्बे से हुई थी और आज भारत पाकिस्तान समेत दुनिया के कई देशों में इसके अनुयायी रहते हैं. भारत पाकिस्तान के सुन्नी धार्मिक संगठन अहमदिया समुदाय की मान्यताओं का विरोध करते रहते हैं. समय-समय पर अहमदिया के खिलाफ प्रोपेगेंडा भी चलाए जाते हैं.

अहमदिया को भारत में इतनी मुसीबतों का सामना नहीं करना पड़ता है जितना पाकिस्तान में. पाकिस्तान में अहमदिया मुसलमानों के लिए धार्मिक भेदभाव और अत्याचार एक आम बात है.

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