ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान को चीन से भरपूर सैन्य मदद मिली. इस टकराव में पाकिस्तान ने चीन से मिली सैन्य सहायता, जिसमें जे-10सी लड़ाकू विमान और पीएल-15 मिसाइल शामिल हैं, की मदद से भारतीय ठिकानों पर हमले की नाकाम कोशिश की. पाकिस्तान चीनी सैन्य मदद को और चीन के साथ दोस्ती को बड़े गर्व के साथ दुनिया के सामने पेश करता है.
लेकिन चीन पाकिस्तान के बीच सिर्फ हथियारों की सौदागरी नहीं होती है. चीन पाकिस्तान को हथियार देता है तो पाकिस्तान चीन की अवाम की भूख मिटाने के लिए उसे गधा सप्लाई करता है. गधों का व्यापार भारत में सुनकर भले ही अजीब लगता है. लेकिन यह सच्चाई है.
पाकिस्तान ने चीन को गधा और गधे का मांस दोनों ही निर्यात करता है. चीन को गधे का मांस भेजने के लिए पाकिस्तान ने ग्वादर में गधा फार्म बनाया है. बता दें कि चीन में लोग चाव से गधे का मांस खाते हैं. पाकिस्तान के स्तंभकार तहरीम अजीम ने कहा कि गधे का मांस चीन के हेबेई प्रांत में लोकप्रिय व्यंजन है. वहां पर बर्गर में इसका इस्तेमाल किया जाता है. यहां रेस्तरां गधों की तस्वीरों को अपनी दुकानों में लगाते हैं और ये ग्राहकों के लिए एक लालच का विषय होता है.
ग्वादर में चालू होने वाला पाकिस्तान का बूचड़खाना एक बड़ा बूचड़खाना होगा. जहां गधों को मारकर उनके मांस, हड्डियां और खाल निकाले जाएंगे फिर इनका निर्यात किया जाएगा. पाकिस्तान के राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा एवं अनुसंधान मंत्रालय (mnfsr) के अधिकारियों ने फरवरी में कहा था कि ग्वादर के बूचड़खाने में उत्पादन का काम चालू हो गया है. पाकिस्तान गधे के इन उत्पादों को चीन में बेचेगा.
इस मंत्रालय के अनुसार पाकिस्तान ने चीन के साथ समझौता 2,16,000 गधों की खाल और मांस की सालाना आपूर्ति के लिए की है. हालांकि चीनी कंपनियां कराची बंदरगाह में बूचड़खाने स्थापित करने में रुचि दिखा रही हैं. चीन इस प्रोडक्ट का इस्तेमाल दवा के लिए भी करेगा. इस समझौते का बाजार मूल्य लगभग 8 मिलियन डॉलर का है.
चीन में गधों की खाल से पारंपारिक चीनी दवा ejiao (एजियाओ ) बनाया जाता है. इससे पारंपारिक चीनी दवाएं बनाई जाती है. एजियाओ दरअसल गधे की त्वचा से निकाला जाने वाला एक जिलेटिन है. इसका उपयोग खून बढ़ाने, इम्युनिटी में सुधार करने और यौवन कायम रखने में किया जाता है. ये दवा त्वचा भी सुंदर रखती है.
चीन और पाकिस्तान के बीच गधे के निर्यात का बढ़ा व्यापार.
चीन में एजियाओ के लोकप्रिय होने की एक वजह है. 1644 से 1912 तक चीन पर शासन करने वाले किंग राजवंश के दौरान ई-जियाओ चीन में अमीर लोगों के बीच काफी लोकप्रिय हुआ.
हाल के वर्षों में यह चीन में एक लग्जरी बन गया है. लोग इसे एंटी एजिंग की तरह इस्तेमाल करते हैं. इसकी बढ़ती लोकप्रियता की वजह चीन का एक टीवी सीरियल है ‘एम्प्रेस इन द पैलेस.’ 2011 में शुरू हुए इस टीवी सीरियल में ई-जियाओ का इस्तेमाल दिखाया गया है. इसकी मांग में बढ़ोतरी की एक वजह चीन का बढ़ता मध्यम वर्ग और बुजुर्ग आबादी भी है. चीन की सरकारी मीडिया के अनुसार, पिछले दशक में इसकी कीमत 30 गुना बढ़ गई है, जो 100 युआन प्रति 500 ग्राम से बढ़कर 2,986 युआन (36,741 रुपये) हो गई है.
बता दें कि कराची भले ही पाकिस्तान का बड़ा औद्योगिक शहर हो. लेकिन इस शहर में आज भी गधे का इस्तेमाल सामान ढोने के लिए होता है.
कुछ पाकिस्तानी चाहते हैं कि उनका मुल्क जिंदा ही गधों का निर्यात करे. इस सवाल पर पाकिस्तानी अधिकारियों ने कहा कि जीवित पशु का निर्यात करना चुनौतीपूर्ण है.
पाकिस्तान के खाद्य सुरक्षा और अनुसंधान मंत्री राणा तनवीर हुसैन ने एक चीनी प्रतिनिधिमंडल के साथ बैठक में कहा था कि यह पहल न केवल निर्यात को बढ़ावा देगी बल्कि स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर भी पैदा करेगी. उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि स्थानीय गधा नस्लों को संरक्षित करने के लिए सख्त नियम लागू किए जाएंगे.
गधे के बिजनेस ने पाकिस्तान को विदेशी मुद्रा कमाने का एक अच्छा मौका दिया है. क्योंकि गधों के पालन में कोई विशेष विशेषज्ञता की जरूरत नहीं पड़ती है.
हालांकि, इस “गधा इकोनॉमी” ने सामाजिक और सांस्कृतिक बहस को जन्म दिया है, पाकिस्तान के कई पशुप्रेमी और गैर सरकारी संगठन इस व्यवसाय को अनुचित मानते हैं और वे इसके खिलाफ अभियान चला रहे हैं.
ग्वादर में बूचड़खाना बनने के बाद बलूचिस्तान के लोग इसका विरोध कर रहे हैं. ग्वादर बलूचिस्तान में ही मौजूद है. यहां के लोग चीनी प्रोजेक्ट्स से हमेशा से नाखुश रहे हैं. इनका आरोप है कि पाकिस्तानी सरकार चीन के साथ मिलकर इनके संसाधनों का दोहन कर रही है. ग्वादर शहर में गधों के बूचड़खाने को लेकर काफी विरोध प्रदर्शन देखने को मिला है. स्थानीय लोग बूचड़खाने को लेकर पाकिस्तान की सरकार से नाराज हैं.