8-9 मई की रात पाकिस्तान की ओर से किए गए नाकाम ड्रोन और मिसाइल हमलों के बाद शुक्रवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सीडीएस और तीनों सेनाओं के प्रमुखों के साथ एक अहम बैठक की. बैठक की जो तस्वीर सामने आई है उसने देश और दुनिया को बड़ा संदेश दे दिया. इस बंद कमरे में हुई उच्चस्तरीय बैठक में मौजूद सभी अधिकारी न सिर्फ शांत, संयमित और आत्मविश्वासी दिखे, बल्कि तस्वीर में हल्की मुस्कान के साथ उनका संयम भारत की रणनीतिक स्थिरता और तैयारियों को दर्शाता है.
बैठक में थलसेना प्रमुख जनरल उपेन्द्र द्विवेदी, वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह, नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी और चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान शामिल थे. तस्वीर में दिखा आत्मविश्वास सिर्फ भावनात्मक सुकून नहीं, बल्कि एक स्पष्ट संदेश था: “भारत सुरक्षित है, नेतृत्व सतर्क है और घबराने की कोई आवश्यकता नहीं.”
दो घंटे की रणनीतिक चर्चा
रक्षा मंत्री, रक्षा स्टाफ प्रमुख और तीनों सेना प्रमुखों की यह बैठक दो घंटे तक चली. इस दौरान थल सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने पाकिस्तान के साथ वर्तमान स्थिति पर जानकारी दी, जबकि वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने भारतीय वायु सेना की जवाबी कार्रवाइयों का विवरण प्रस्तुत किया.
हवाई हमलों के बीच आत्मविश्वास की तस्वीर
पाकिस्तान ने जब भारतीय सैन्य प्रतिष्ठानों पर ड्रोन और मिसाइल से हमला किया, तब भारतीय वायु रक्षा तंत्र तुरंत सक्रिय हुआ. देशभर में फैली 1,800 किलोमीटर लंबी एयर डिफेंस ग्रिड ने 50 से अधिक ड्रोन को हवा में ही नष्ट कर दिया और 15 से ज्यादा महत्वपूर्ण ठिकानों को सुरक्षित रखा.
ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान की बौखलाहट
8 मई को भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में स्थित 9 आतंकी ठिकानों को सटीक हवाई हमलों से तबाह कर दिया था. यह कार्रवाई 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में की गई थी, जिसमें 26 निर्दोष लोगों की जान गई थी. इसके जवाब में पाकिस्तान ने जिस तरह की हवाई उकसावे की नीति अपनाई, वह भारत के संयोजित, रणनीतिक और तकनीकी जवाब के सामने धराशायी हो गई.
जम्मू-कश्मीर और पंजाब में बड़े पैमाने पर ड्रोन-रोधी अभियान
सेना ने वायु रक्षा इकाइयों के साथ मिलकर उधमपुर, सांबा, जम्मू, अखनूर, नगरोटा (सभी जम्मू-कश्मीर में) और पठानकोट (पंजाब) में बड़े पैमाने पर ड्रोन-रोधी अभियान चलाया. इस अभियान में एल-70 तोपें, जेडयू-23 मिमी, शिल्का, और अन्य ड्रोन-रोधी प्रणालियों का उपयोग किया गया, जो भारतीय सेना की हवाई खतरों को वास्तविक समय में नाकाम करने की जबरदस्त क्षमता को दर्शाता है.
भारत की रक्षात्मक शक्ति में रूस निर्मित एस-400 वायु रक्षा प्रणाली, जिसे ‘सुदर्शन चक्र’ के नाम से जाना जाता है, ने लगभग 50 स्थानों पर हमलों को विफल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. इसके साथ ही, इजरायल मूल के हारोप ड्रोन का उपयोग सटीक जवाबी हमलों के लिए किया गया, जिसने भारत के पक्ष में रणनीतिक संतुलन को और मजबूत किया. अखनूर, सांबा, बारामूला और कुपवाड़ा जैसे क्षेत्रों में सायरन और विस्फोटों की आवाजें सुनाई दीं, क्योंकि भारतीय सेना ने रात भर आक्रामक हवाई निगरानी बनाए रखी.
नेतृत्व की दृढ़ता और सैन्य क्षमता का प्रदर्शन
राजनाथ सिंह और सेना प्रमुखों की तस्वीर में संकट के समय भी आत्मविश्वास झलकता है. तस्वीर दर्शाती है कि अब भारत के रणनीतिक संकल्प की प्रतीकात्मक छवि बन चुकी है. यह न केवल जनता को भरोसा देती है, बल्कि दुनिया को स्पष्ट कर देती है कि भारत शांतिप्रिय होकर भी सशक्त है.