पहलगाम आतंकी हमले के खिलाफ भारत ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में एयर स्ट्राइक कर नौ आतंकी ठिकानों को पूरी तरह से तबाह कर दिया था. उसके बाद पाकिस्तान की हिमाकत कम नहीं हुई और उसने भारत के सीमावर्ती इलाकों में न केवल गोलाबारी की, बल्कि ड्रोन और मिसाइल अटैक करने की कोशिश की, जिसे भारत के एयरडिफेंस सिस्टम ने पूरी तरह से नाकाम कर दिया. पाकिस्तान की हिमाकत के जवाब में 10 मई की सुबह भारत ने पाकिस्तान के एयरबेस को निशाना बनाया और उन्हें भारी क्षति पहुंचाई, हालांकि भारत द्वारा पहले क्षति की बात कही जा रही थी, लेकिन अब इन हमलों की सैटेलाइट तस्वीरें सामने आई है, जो क्षति की पुष्टि कर रही है.
भारत द्वारा 10 मई को किए गए सटीक हवाई हमलों में पाकिस्तान वायुसेना (PAF) के चार प्रमुख एयरबेसों को गंभीर क्षति पहुंची है. भारतीय निजी सैटेलाइट फर्म KAWASPACE और चीनी फर्म MizhaVision द्वारा जारी की गई उच्च-रिजॉल्यूशन सैटेलाइट इमेजरी ने हमलों के प्रभाव की पुष्टि की है. इन हमलों में भारत की ओर से एयर-लॉन्च्ड क्रूज मिसाइल (ALCM), संभवतः ब्रह्मोस, का इस्तेमाल किया गया.
भोलारी एयरबेस: पूरी तरह तबाह
PAF का भोलारी एयरबेस भारत के सबसे घातक हमलों में से एक का निशाना बना. KAWASPACE द्वारा जारी तस्वीरों में साफ देखा जा सकता
एयरबेस का एक प्रमुख हैंगर पूरी तरह नष्ट हो गया है.
चारों ओर संरचनात्मक मलबा फैला हुआ है.
रनवे से हैंगर की निकटता यह संकेत देती है कि यह त्वरित प्रतिक्रिया मिशनों के लिए इस्तेमाल होता था.
PAF बेस शाहबाज (जैकोबाबाद) पर भी भारतीय मिसाइलों ने सटीक वार किया.
सैटेलाइट इमेज में मुख्य एप्रन पर स्थित एक हैंगर को गंभीर क्षति पहुंची है
एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) बिल्डिंग को भी मामूली और संभावित द्वितीयक क्षति का अनुमान जताया गया है.
सरगोधा एयरबेस की तस्वीरें हमले के कुछ घंटे बाद सामने आईं.
रनवे और आसपास की संरचनाओं में हल्का लेकिन रणनीतिक नुकसान देखा गया है.
हमलों का उद्देश्य बेस की ऑपरेशनल क्षमता को सीमित करना माना जा रहा है.
चीनी फर्म मिजाविज़न द्वारा जारी तस्वीरों से पता चलता है कि
नूर खान एयरबेस पर भारत का निशाना ग्राउंड सपोर्ट वाहनों और बुनियादी ढांचे पर था.
हमलों का मकसद बेस के लॉजिस्टिक और सपोर्ट सिस्टम को निष्क्रिय करना था.
इन हमलों के बाद रक्षा विश्लेषकों का कहना है कि भारत ने पाकिस्तान को एक स्पष्ट संदेश दिया है कि अब आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई केवल राजनयिक स्तर पर नहीं, बल्कि सैन्य शक्ति के रूप में भी की जाएगी.