Vayam Bharat

पकौड़ी कोल का बगावती सुर: ‘परिवारवाद’ के आरोपों के बीच नई पार्टी की घोषणा

 

Advertisement

मिर्ज़ापुर : उत्तर प्रदेश और केंद्र की भाजपा सरकार में सहयोगी दल की भूमिका में बनी हुई केंद्रीय राज्यमंत्री एवं मिर्ज़ापुर की सांसद अनुप्रिया पटेल की पार्टी अपना दल (एस) को तगड़ा झटका लगा है. उनके अपना दल के नेता एवं पूर्व सांसद पकौड़ी लाल कोल ने अपना दल (एस) से नाता तोड़ने का ऐलान कर दिया है.

रविवार को पूर्व सांसद ने अपने गृह गांव मिर्ज़ापुर के पटेहरा विकास खंड क्षेत्र के दीपनगर में कोल समाज की बैठक में उन्होंने इसकी घोषणा करते हुए कड़ाके की इस ठंड में सरगर्मियां बढ़ाने का काम कर दिया है.इस दौरान उन्होंने ‘विंध्य समता मूलक समाज पार्टी’ बनाने का ऐलान भी कर दिया है। कहा है कि अलग संगठन बनाए बगैर कोल समाज का विकास नहीं हो पाएगा.

हालांकि इसको लेकर तीखी प्रतिक्रिया भी सुनने में आ रही है.जिस कोल समाज की भलाई की बात पूर्व सांसद पकौड़ी कोल कर रहे हैं, खुद उन पर सवाल खड़े हो रहे हैं कि उन्होंने कितना अपने समाज का भलाई किया है, सिवाय परिवारवाद को बढ़ावा देने के अलावा उन्होंने कुछ भी नहीं किया है.

सत्ता में बने रहने और सत्ता सुख को भोगने के लिए दल बदल करते रहे, ऐसे में भला वह किस मुंह से अपने समाज के विकास की बात कर रहे हैं, क्या सत्ता में रहते हुए कोल समाज की भलाई नहीं कर पाएं तो अब नये दल का गठन कर भलाई और विकास कर पाएंगे?

गौरतलब हो कि राबर्ट्सगंज, सोनभद्र से अपना दल (एस) के पूर्व सांसद पकौड़ी कोल मिर्ज़ापुर जिले के कुबरी पटेहरा गांव के रहने वाले हैं.रविवार 12 जनवरी को इन्होंने पटेहरा में अनुप्रिया पटेल के नेतृत्व वाली पार्टी अपना दल एस से अलग होकर खुद की पार्टी बनाने का ऐलान किया है.हालांकि उन्होंने यह भी कहा है कि अभी तो वह राय ले रहे है.

इसके बाद वह इसपर कार्रवाई शुरू कर देंगे.दल का नाम क्या होगा के सवाल पर उन्होंने कहा है, हमारी पार्टी का नाम ‘विंध्य समता मूलक समाज पार्टी’ होगा.

दल बनाने के ऐलान के बाद उठने लगे सवाल

पूर्व सांसद पकौड़ी कोल द्वारा नये दल के गठन का ऐलान किए जाने के बाद आरोप प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है। कुछ लोगों का कहना है कि अपना दल की राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय राज्यमंत्री अनुप्रिया पटेल और उनके पति आशीष पटेल ने इनको (पकौड़ी कोल) और इनके परिवार को राजनीतिक रूप से बहुत कुछ दिया है.

इन्हें सांसद बनाया, बेटे (स्व. राहुल कोल) को विधायक बनाया, एक बेटे को प्रमुख बनवाया और बहू (स्व. राहुल कोल की पत्नी) को भी विधायक बनवाया है.ऐसे में अपने समाज की भलाई का इन्हें इतना ही ख्याल रहा तो क्यों नहीं समाज के किसी और व्यक्ति को प्रमुख और विधायक बनवाने की पहल की?

लेकिन नहीं उन्हें तब समाज का जरा भी ख्याल नहीं आया है, सिर्फ़ और सिर्फ़ परिवारवाद ही दिखाई दिया है.
वहीं कुछ लोगों का कहना है कि विकास का एक चक्कर होता है, छानबे विधानसभा क्षेत्र में लग रहा वह चकरी घूम चुकी है. पिछले लोक सभा चुनाव में ही राबर्ट्सगंज, (सोनभद्र) लोकसभा क्षेत्र से उनकी बहु रिंकी कोल को टिकट मिला तो बगावत की सुगबुगाहट शुरू कर दिए गए थे.अब दुबारा कर रहे हैं, ऐसे में पकौड़ी कोल के इस बदले हुए सुर और पैंतरे के मायने निकाले जाने लगें हैं‌.

पकौड़ी से विवादों का रहा है गहरा नाता

सोनभद्र की राबर्ट्सगंज लोकसभा क्षेत्र के पूर्व सांसद पकौड़ी कोल का विवादों से गहरा नाता रहा है.मिर्ज़ापुर जिले के मड़िहान तहसील क्षेत्र के कुबरी पटेहरा गांव में इन पर ग्राम समाज की जमीन पर कब्जा किए जाने का भी आरोप लगाया जा चुका है, जिसमें बाकायदा इन्होंने तहसील प्रशासन को हलफनामा देकर ग्राम समाज की जमीन को अतिक्रमण मुक्त करने का भरोसा दिलाया था.

लेकिन कहते हैं ना कि “जिसकी लाठी उसकी भैंस” वहीं इस मामले में भी हुआ है, ना तो ग्रामसभा की जमीन मुक्त हो पाई और ना ही इनके खिलाफ कार्रवाई हो पाई.इसी प्रकार अपने बेटे के विधानसभा क्षेत्र छानबे में इन्होंने भरें मंच से सर्वणों को अपशब्दों से नवाजते हुए जमकर भला-बुरा कहा था जिसका वीडियो वायरल होने के बाद हड़कंप मचने के साथ ही इनका पुरजोर विरोध भी शुरू हो गया था. पूर्व सांसद पकौड़ी कोल द्वारा भरें मंच से सर्वणों को लेकर किए गए असंसदीय शब्दों के प्रयोग का असर यह हुआ था कि भाजपा-अपना दल की मुश्किलें बढ़ गई थीं.

 

पूर्व सांसद पकौड़ी कोल के हालिया बयान को लेकर राजनीति गलियारे में भी इसके मायने ढ़ूढ़े जाने लगें हैं.कुछ लोग इसे परिवार में बढ़ते तकरार को जोड़कर देख रहे हैं तो वहीं कुछ लोग ससुर-बहू के बीच बढ़ते दरार से जोड़ कर देख रहें हैं.

ख़ैर, अब यह परिवार सियासी तौर पर अपना दल (एस) के लिए मुसीबत बनता हुआ दिखाई देने लगा है.ऐसे में इनके विकल्प की तलाश तेज होगी, को लेकर भी चर्चा तेज़ हो उठी है.

दूसरी ओर अपना दल (एस) में पकौड़ी कोल और उनके ऐलान को लेकर चर्चा होनी शुरू हो गई है.पार्टी से जुड़े हुए लोगों की मानें तो अपना दल (एस) ने इनके परिवार को ऊंचाई दी है तो वहीं इस बात की भी चर्चा हो रही है कि केंद्रीय राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल और कैबिनेट मंत्री आशीष पटेल के लिए सबसे बड़ी मुश्किल अब यह है कि अब उनके ही घर (मिर्ज़ापुर) में ही एक और मोर्चा (दल) उनके खिलाफ खोला जा रहा है.देखिये भविष्य में क्या होता है?

Advertisements