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पापा बस एक बार आ जाओ… शहीद कर्नल को बेटा अभी भी भेजता है मैसेज

‘पापा बस एक बार आ जाओ, फिर मिशन पे चले जाना’… ये मैसेज एक सात के बच्चे ने अपने पिता को भेजा है वो भी अपनी मां से छिपकर. बच्चा इस बात से आज भी अंजान है कि उसके पिता अब कभी वापस नहीं आएंगे. लेकिन मासूम अभी भी अपने पिता कर्नल मनप्रीत सिंह आने की आस लिए उन्हें फोन से वॉइस मैसेज कर वापस आने की गुहार लगाता है.

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दिल को दहलाने वाली ये कहानी है कबीर की जिसे नहीं मालूम की उसके पिता अब इस दुनिया में नहीं है. अपने पापा से मिलने और उन्हें देखने के लिए कबीर हमेशा अपनी मां से जिद कर करता है. वह मां से उन्हें वीडियो कॉल करने को कहता है उनसे सवाल करता है. लेकिन मां के पास अपने बेटे के सवालों का कोई जवाब नहीं है.

आतंकी हमले में हुए थे शहीद

दरअसल जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग के गडूल गांव में पिछले साल 13 सितंबर 2023 को आतंकियों की फायरिंग में 3 अफसर और दो जवान शहीद हुए थे. इसमें कर्नल मनप्रीत सिंह भी शामिल थे. इस बात को 9 महीने हो चुके हैं लेकिन मनप्रीत के बेटे को नहीं पता कि उसके पिता अब इस दुनिया में नहीं है वो शहीद हो गए हैं. कबीर को अभी भी यही लगता है कि उसके पिता ड्यूटी पर गए हैं और वापस आ जाएंगे. कबीर आज भी अपने पिता को मोबाइल पर वॉइस मैसेज भेजकर उसने घर आने का कहता है.

बच्चों के नाम पर रखा पेड़ों का नाम

मनप्रीत सिंह की पत्नी जगमीत पंजाब के मोहाली में रहती हैं. उन्होंने बताया कि कबीर छिप-छिपकर अपने पिता को वॉइस मैसेज करता है. पति को याद करते हुए उन्होंने बताया कि मनप्रीत सिंह ने घर में चिनार के दो पेड़ लगाए थे. जिनके नाम उन्होंने अपने बच्चों के नाम पर कबीर और वाणी रखा था और कहा था कि इन पेड़ों को फिर से देखने के लिए हम 10 साल बाद वापस आएंगे, लेकिन अब…

‘हमेशा लोगों की मदद करते थे’

जगमीत ने बताया कि कर्नल मनप्रीत सिंह कश्मीर में लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए काफी उत्साहित थे. उन्होंने कहा,उन्होंने बताया कि अक्सर रात में उनके पति के पास लोगों के फोन आते थे और वह फौरन उनकी मदद के लिए निकल जाते थे. उनके पति को स्थानीय लोग शादियों, बच्चों के जन्मदिन और ईद मनाने के लिए आमंत्रित करते थे. ये सभी उनके परिवार की तरह था.

‘आखिरी बार 32 सेकेंड हुई थी बात’

जगमीत बताती हैं कि आखिरी बार उनकी अपने पति कर्नल मनप्रीत से 32 सेकेंड बातचीत की हुई थी. इस दौरान मनप्रीत ने कहा था कि वह ऑपरेशन में हैं’ और यही उनके आखिरी शब्द थे. उसके बाद दोबारा उनसे बात नहीं हो सकी. जगमीत ने बताया कि उनके पति ने अपने बच्चों को यह भी समझाया कि वह वापस नहीं आएंगे.

कर्नल मनप्रीत सिंह को परिवार ही नहीं बल्कि दूसरे लोग भी याद करते हैं. अनंतनाग की एक प्रसिद्ध महिला क्रिकेटर रूबिया सईद ने बताया कि उनका मानना था कि समाज के निर्माण में खेलों की अहम भूमिका होती है. बहुत से नशे के आदी लोग थे, जिन्हें उन्होंने पुनर्वास के लिए भेजा था.स्थानीय निवासियों का कहना है कि कर्नल सिंह का व्यवहार सकारात्मक प्रभाव छोड़ता था.

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