पटना में सोमवार को महागठबंधन की ‘वोटर अधिकार यात्रा’ के समापन कार्यक्रम में एक बार फिर जन अधिकार पार्टी (JAP) सुप्रीमो पप्पू यादव को मंच से दूर रखा गया. मंच पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव समेत महागठबंधन के बड़े नेता मौजूद थे, लेकिन पप्पू यादव को मंच पर चढ़ने की अनुमति नहीं मिली.
इस स्थिति में पप्पू यादव ने सड़क पर ही कुर्सी लगाकर बैठने का फैसला किया. वह जनता के बीच आम समर्थकों की तरह सभा को सुनते रहे. कार्यक्रम के दौरान राहुल गांधी और तेजस्वी यादव सहित महागठबंधन के नेताओं ने केंद्र और राज्य सरकार पर जमकर हमला बोला और मताधिकार बचाने की अपील की. गौरतलब है कि इससे पहले भी कई बार महागठबंधन के मंच से पप्पू यादव को अलग-थलग रखा गया है. उनके समर्थक इस पर नाराजगी जताते रहे हैं.
पप्पू यादव की राजनीतिक सक्रियता और जनता के बीच उनकी मजबूत पकड़ के बावजूद उन्हें बार-बार मंच पर जगह न मिलना बिहार की राजनीति में चर्चाओं का विषय बना हुआ है.
वोटर अधिकार यात्रा निकालने के मायने?
‘वोटर अधिकार यात्रा’ के पीछे विपक्ष का मकसद बिहार में मतदाताओं के अधिकारों को लेकर हो रही कथित अनियमितताओं को सामने लाना है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने 17 अगस्त को इस यात्रा की शुरुआत की थी. विपक्षी दलों का कहना है कि विशेष गहन मतदाता सूची संशोधन (SIR) के दौरान करीब 65 लाख लोगों के नाम सूची से हटा दिए गए, जिसे वे मताधिकार पर सीधा हमला और लोकतंत्र को कमजोर करने की कोशिश मानते हैं.
सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था मामला
विपक्ष की शिकायतों के बाद मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा, जहां अदालत ने चुनाव आयोग को आदेश दिया कि जिन मतदाताओं के नाम सूची से हटाए गए हैं, उनकी पूरी जानकारी 19 अगस्त तक सार्वजनिक की जाए और 22 अगस्त तक अनुपालन रिपोर्ट सौंपी जाए. इसके पालन में चुनाव आयोग ने 65 लाख मतदाताओं की सूची जारी कर दी.