मध्य प्रदेश : रीवा जिले की बम्हनगवां बहु प्राथमिक सहकारी समिति मर्यादित में इन दिनों एक ऐसा ‘हाई-वोल्टेज ड्रामा’ चल रहा है, जिसने सहकारिता विभाग में हड़कंप मचा दिया है.समिति के निवर्तमान प्रबंधक कल्याण सिंह ने चार महीने पहले ही अपने पद से त्यागपत्र दे दिया था, लेकिन वे अब भी कुर्सी छोड़ने को तैयार नहीं हैं, मानो कुर्सी ने ही उन्हें जकड़ रखा हो.
मामला तब और पेचीदा हो गया जब समिति के प्रशासक ने नए वैकल्पिक प्रबंधक की नियुक्ति कर दी, बावजूद इसके कल्याण सिंह अपनी ‘कुर्सी का मोह’ त्याग नहीं पा रहे हैं.
समिति प्रबंधक कल्याण सिंह ने 27 मार्च 2025 को ही अपने और अपनी पत्नी के स्वास्थ्य का हवाला देते हुए अपने पद से त्यागपत्र दे दिया था.उन्होंने साफ लिखा था कि वे अपनी शारीरिक अक्षमता के चलते अब समिति प्रबंधक के दायित्वों का निर्वहन करने में असमर्थ हैं.
उनके त्यागपत्र को देखते हुए, समिति के सुचारू संचालन को सुनिश्चित करने के लिए प्रशासक एवं प्रबंधक ने 07 जुलाई 2025 को एक आदेश जारी किया.इस आदेश में वीरेंद्र सिंह (वीरू) को वैकल्पिक व्यवस्था के तहत तत्काल प्रभाव से प्रबंधकीय उत्तरदायित्व सौंपे गए. यह व्यवस्था तब तक जारी रहेगी जब तक स्थायी कैडर के समिति प्रबंधक की नियुक्ति नहीं हो जाती.
कुर्सी से चिपके क्यों हैं कल्याण सिंह
चौंकाने वाली बात यह है कि त्यागपत्र और नए नियुक्ति आदेश के बावजूद कल्याण सिंह ने न तो अब तक कार्यभार सौंपा है और न ही नए वैकल्पिक प्रबंधक वीरेंद्र सिंह को कार्यभार ग्रहण करने दिया है.यह स्थिति कई गंभीर सवाल खड़े करती है. क्या कल्याण सिंह का त्यागपत्र केवल एक दिखावा था जब स्वास्थ्य कारणों से अक्षमता स्वीकार की गई थी, तो अब कुर्सी क्यों नहीं छोड़ी जा रही?
क्या इस ‘कुर्सी मोह’ के पीछे कोई अज्ञात कारण था यह गतिरोध समिति के दैनिक कामकाज को बुरी तरह प्रभावित कर रहा है और लाभार्थियों को भी परेशानी हो रही है। सहकारिता विभाग के उच्च अधिकारियों को इस मामले में तुरंत हस्तक्षेप कर स्थिति को स्पष्ट करना होगा.बम्हमनगवां में हर कोई यही जानना चाहता है कि इस ‘कुर्सी के अजब-गजब मोह’ का अंत कब होगा और समिति का कामकाज कब पटरी पर लौटेगा.