बिहार के मधुबनी में एक ऐसा गांव है, जिसमें गांव के लोग विकास के लिए खुद काम कर रहे हैं. गांव के लोगों ने गांव को एक स्मार्ट सिटी की तरह बना दिया है, जिसमें हर तरह की सुविधा मौजूद है. वाई-फाई, पक्की सड़क, एंबुलेंस, सीसीटीवी कैमरे हर तरह की सुविधा गांव के लोगों को मिल रही है.
बिहार के मधुबनी जिले में एक ऐसा गांव है, जो सिर्फ नाम के लिए गांव है. लेकिन इस गांव में एक स्मार्ट सिटी की तरह सभी सुविधाएं मौजूद हैं. इस गांव में स्मार्ट स्कूल से लेकर एंबुलेंस की सुविधा, वाई-फाई, सीसीटीवी कैमरा समेत हर जरूरी सुविधा हैं. खात बात ये है कि ये सुविधाएं गांव वालों को सरकार की ओर से नहीं दी गई हैं. बल्कि इस गांव को स्मार्ट सिटी में बदलने का काम खुद गांव के लोगों ने ही किया है.
इस गांव का नाम सतघरा है.इस गांव के लोग अब दूसरों के लिए उदाहरण बन रहे हैं, जिन्होंने अपने गांव को महज दो साल में एक नया रूप दिया है. दो साल पहले तक इस गांव के विदेश में रहने वाले लोग जब गांव आते तो उनका मन गांव की स्थिति देखकर दुखी हो जाता था. ऐसे में उन्होंने फैसला किया कि वह मिलकर गांव का विकास करेंगे.
सतघरा विकास फाउंडेशन
अमेरिका में गूगल कंपनी में काम करने वाले सुनील कुमार झा और अमेरिका में ही एक कंपनी में सीईओ संजय कुमार झा दोनों ने गांव की स्थिति को लेकर सूरत में रहने वाले अपने दोस्त अरविंद चौधरी से बात की, जो एक इन्फास्ट्रक्चर डेवलपर हैं. ऐसे में सतघरा विकास फाउंडेशन शुरू किया गया और अलग-अलग देशों में रहने वाले वाले सतघरा गांव के लोग इस फाउंडेशन से जुड़ गए.
इंग्लैंड, कतर और बहरीन से जुड़े
सतघरा विकास फाउंडेशन से इंग्लैंड, कतर और बहरीन समेत अलग-अलग देशों से लोग फाउंडेशन से जुड़े. इसमें गांव के जिम्मेदार लोगों को भी शामिल किया गया. इस तरह गांव के लोगों ने मिलकर गांव का विकास किया. अब सतघरा में बुजुर्गों के लिए एक रसोई घर में हैं, जिसमें वह खाना खा सकते हैं. गांव में 7 योजनाओं के तहत विकास कार्य किए जा रहे हैं.
फ्री मेडिकल कैंप की सुविधा
फाउंडेशन की ओर से गांव में हर रविवार को एक फ्री मेडिकल कैंप लगाया जाता है, जिसके चलते अब गांव के लोगों को इलाज की भी आसानी हो गई है. गांव में एक प्लस टू और दो प्राथमिक स्कूल ऐसे हैं, जिनमें सतघरा विकास फाउंडेशन की ओर 6 लाख रुपये की लागत लगाकर स्मार्ट क्लास तैयार की गई है. ये काम कमजोर और जरूरतमंद बच्चों के लिए किया गया है. इसमें हर तरह प्रोजेक्टर से लेकर कंप्यूटर और इनवर्टर तक की सुविधा है.
सतघरा विकास फाउंडेशन का अपना एक व्हाट्सएप ग्रुप है, जिसमें गांव के सभी लोग एड हैं. गांव में होने वाली समस्या और उसके समाधान पर इसी ग्रुप में चर्चा होती है. फिर 18 सदस्यीय एक कोर कमेटी इस पर संज्ञान लेती है. इसके बाद फैसले के बारे में गांव वालों को बताया जा जाता है. सतघरा विकास फाउंडेशन का एक बैंक अकाउंट भी है.