15 महीने के इंतजार के बाद PayU को रिजर्व बैंक की तरफ से पेमेंट एग्रीगेटर की तरह काम करने के लिए सैद्धांतिक रूप से मंजूरी हासिल हो गई है. कंपनी अब अपने प्लेटफार्म से कारोबारियों को जोड़ना शुरू सकती है. जनवरी 2023 को रिजर्व बैंक ने फिनटेक कंपनी की एग्रीगेटर के रूप में काम करने के लिए दी गई एप्लीकेशन को वापस कर दिया था. तब रिजर्व बैंक ने कहा था कि कंपनी का कार्पोरेट स्ट्रक्चर काफी जटिल है. आरबीआई ने कंपनी को फिर से एप्लाई करने को कहा था. कंपनी में ग्लोबल इनवेस्टमेंट ग्रुप Prosus ने निवेश किया है.
रिजर्व बैंक के फैसले के बाद कंपनी के सीईओ अनिर्बान मुखर्जी ने कहा कि रिजर्व के द्वारा मिली इस मंजूरी ने नए कारोबारियों को हमारे प्लेटफार्म से जुड़ने का रास्ता साफ कर दिया है. अनिर्बान ने कहा कि ये फैसला भारत में ऐसा डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर स्थापित करने के हमारे मिशन का आधार बनेगा जिसकी दुनिया भर में पहचान होगी. PayU के साथ साथ पेटीएम, रेजर पे और कैश फ्री पर भी प्रतिबंध लगे थे. इनमें पेटीएम को छोड़कर बाकी दो को पिछले साल दिसंबर में मंजूरी हासिल हो गई थी. वहीं सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार एक अन्य फिन टेक कंपनी Cred को भी पेमेंट एग्रीगेटर के लिए मंजूरी हासिल हो गई है. पेमेंट एग्रीगेटर ग्राहकों से मिले पैसे को मैनेज करता है और उसके कारोबारियों तक पहुंचाता है.
फिन टेक कंपनी PayU अपना आईपीओ लाने की तैयारी कर रही है. वित्त वर्ष 2023 में PayU इंडिया ने 40 करोड़ डॉलर की आय दर्ज की थी. इसमें इससे भी पिछले साल के मुकाबले 31 फीसदी की ग्रोथ देखने को मिली. कंपनी को अभी वित्त वर्ष 2024 के नतीजे पेश करना बाकी है. बीते वित्त वर्ष की पहली छमाही में कंपनी की कोर पेमेंट बिजनेस से आय 15 फीसदी बढ़कर 21 करोड़ डॉलर के ऊपर पहुंच गया.